18419 परिवारों को मिल सकती है ग्रामीण विकास बैंक की पूरी ब्याज माफी
रामकुमार तुसीर
सफीदों, 10 अप्रैल
डिफॉल्टरों का ब्याज माफ करने की कई वर्ष पहले जारी ‘वन टाइम सेटलमेंट’ योजना की अवधि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले हरियाणा सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने आगामी 30 जून तक बढ़ा दी थी। इस योजना में मृत डिफॉल्टरों के खातों पर शत प्रतिशत ब्याज की छूट पहले से है। अब विधवा ऋणियों के लिए शत प्रतिशत ब्याज माफी का प्रावधान जोड़ा गया है। बैंक मुख्यालय के सचिव राजेंद्र कुमार ने बताया कि 1645 विधवा महिला ऋणी भी अब शत प्रतिशत ब्याज माफी की पात्र हो गई हैं बशर्ते कि वे मूल का एकमुश्त भुगतान करें। इसके साथ ही ब्याज की शत प्रतिशत माफी के पात्र परिवारों की संख्या 18419 हो गई है, लेकिन उन्हें पहले मूल राशि का एकमुश्त भुगतान निर्धारित अवधि में करना होगा। प्रदेश में 16774 फौत हो चुके डिफाल्टर किसानों के परिवारों की तरफ 452 करोड़ रुपए का ऋण बकाया है, जबकि वसूली का आंकड़ा काफी कमजोर है। सचिव ने बताया कि विधवा ऋणियों के मामलों में केवल 14 मामलों में 65 लाख रुपए की वसूली हो पाई है जबकि ऐसी विधवाओं की तरफ 68.72 करोड़ रुपए बकाया है। इस बैंक की प्रदेश भर में 86 शाखाएं थी, जिनमे से 10 का विलय होने से अब इनकी संख्या 76 है। पिछली सरकार में नाबार्ड ने इस बैंक को ऋण देना बंद कर दिया तो सरकार ने इसे ‘समेटने’ की योजना भी बनाई जो सिरे नहीं चढ़ी। अब हाल यह है कि जिला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास तीन-तीन जिलों का कार्यभार है।
पूर्ण ब्याज मुक्ति हो : किसान यूनियन
किसान नेताओं को पूर्ण ब्याज मुक्ति से कम कुछ मंजूर नहीं। भाकियू (चढूनी) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी का कहना है कि मनमोहन सिंह सरकार में किसानों के 72 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने की घोषणा हुई, जिसमें केवल 51 करोड़ रुपए ही माफ किए गए। इसके बाद किसान की हालत सरकारों ने इतनी बिगाड़ दी कि वह आत्महत्या तक करने को विवश है, कर्जा माफ नहीं किया जबकि कारपोरेट घरानों के हजारों करोड़ों के कर्ज माफ होते रहे। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने तो पिछले दस साल में कारपोरेट घरानों के 15 लाख करोड़ माफ कर दिए। भाकियू (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान भी कहते हैं कि किसान मजदूर का कर्ज तो सरकार को माफ करना ही होगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के कदम उठाने होंगे, ब्याज माफी कोई राहत नहीं। इसमें शक नहीं कि किसान की हालत खराब हैं। किसान की कर्जमाफी का किसान नेताओं का मुद्दा हो या कर्ज माफी का नया-पुराना, सत्तापक्ष-विपक्ष का राजनीतिक वादा किसानों में माफी की उम्मीद जगा रहे हैं इसलिए ऋणों की वसूली इतनी आसान नहीं।
नये अध्यक्ष पर सुधार का जिम्मा
पिछले दशक से प्रबंधकों की पदोन्नति की फाइल ठंडे बस्ते में है। ऋण देने का काम लगभग ठप है। अब सुधार की जिम्मेदारी बैंक के नए अध्यक्ष अमरपाल राणा पर है जिनका कहना है कि बस लोकसभा चुनाव से निपट लें फिर बैंक को ऊपर उठाने व किसानों व छोटे दुकानदारों को ऋण मुहैया कराने के सुधारों की कवायद शीघ्र शुरू होगी। वह बैंक की ब्याज माफी योजना को किसानों के लिए बड़ी राहत बताते हैं।