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सैन्य एकीकरण के लिए 180 पहलों की पहचान की गयी : सीडीएस

06:56 AM Nov 21, 2024 IST
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और पूर्व रक्षा सचिव एनएन वोहरा नयी दिल्ली में बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर द्वारा अायोजित एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल अनिल चौहान से बातचीत करते हुए। -मुकेश अग्रवाल

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 20 नवंबर
भविष्य के युद्ध लड़ने के लिए तीनों सशस्त्र बलों को एकीकृत करने की योजना पेश करते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि बलों को एकीकृत करने के लिए 180 पहलों की पहचान की गई है, जबकि एक विजन स्टेटमेंट के तीन चरण हैं, जो 2047 के लिए एक रोडमैप की तरह है। उन्होंने आश्वासन दिया कि एक लिखित राष्ट्रीय सुरक्षा नीति दस्तावेज पर काम किया जा रहा है।
सीडीएस बुधवार शाम यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर द्वारा ‘भविष्य के युद्ध और भारतीय सशस्त्र बल’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा से बातचीत कर रहे थे।
सीडीएस ने कहा कि विजन स्टेटमेंट में परिवर्तन की अवधि के रूप में 2027 तक का समय बताया गया है, जब एकीकृत संचालन की संरचनाएं सामने आनी चाहिए। इसके अगले दस वर्ष (2027-2037) एकीकरण की अवधि है। अंतिम चरण यानी (2037-2047) पर सीडीएस ने कहा कि अनुमान अभी भी ‘थोड़ा धुंधला’ है, क्योंकि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के इस युग में यह बहुत दूर है।
जनरल चौहान ने कहा कि सशस्त्र बल आठ डोमेन को एकीकृत करने पर विचार कर रहे हैं और इसके लिए 180 पहलों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा, ‘हमें संगठनात्मक और संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है, एकीकृत थिएटर कमांड परिवर्तन की नींव रखेंगे। थिएटर कमांड का निर्माण सुधारों के अगले चरण की शुरुआत है।’ सीडीएस ने कहा, ‘हमारे पास एक दृष्टिकोण है, हम उसके लिए तैयारी कर रहे हैं और सेनाएं हर तरह के संघर्ष का जवाब देने के लिए तैयार होंगी।’ सीडीएस ने कहा, युद्ध की प्रकृति बदल रही है। बढ़ती अनिश्चितताओं का मतलब है कि हमें भविष्य के युद्धों के लिए ‘सैद्धांतिक बदलाव’ करने की जरूरत है।
कारगिल युद्ध समीक्षा समिति का हिस्सा रहे पूर्व रक्षा सचिव एनएन वोहरा ने राष्ट्रीय सुरक्षा दस्तावेज होने का मामला उठाया। वोहरा ने कहा, ‘वह क्या है जो हमें यह कहने से रोकता है कि हम एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं।’ उन्होंने सीडीएस को सुझाव दिया, ‘हमें गृह, रक्षा और विदेश जैसे मंत्रालयों के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों के लिए एक अच्छी तरह से तैयार लिखित ढांचे की आवश्यकता है और इस ढांचे के तहत उनकी जवाबदेही का आकलन किया जाना चाहिए।’
वोहरा ने यह स्पष्ट करने को कहा कि एक लिखित राष्ट्रीय नीति दस्तावेज की आवश्यकता है या नहीं। इस पर सीडीएस ने जवाब दिया कि नीति के अभाव में राष्ट्र काम नहीं करता, निर्णय लेने की संरचनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि एक लिखित दस्तावेज पर काम किया जा रहा है।
केंद्रीय गृह सचिव के रूप में भी काम कर चुके वोहरा ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा 95 प्रतिशत राज्यों का काम है और केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा सेना पर रोजमर्रा की शांति व्यवस्था का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए।

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