For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

सोलह आने समस्याओं में चवन्नी भर सुविधाएं

07:11 AM Jul 06, 2024 IST
सोलह आने समस्याओं में चवन्नी भर सुविधाएं
भिवानी के नागरिक अस्पताल में ओपीडी में लगी कतारें। - हप्र
Advertisement

अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 5 जुलाई
भिवानी में आवश्यकता के मुकाबले केवल 25 प्रतिशत चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इसके चलते लोगों को तमाम तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। अन्य विभागों की बात तो छोड़ ही दें, नौनिहालों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। नागरिक अस्पताल में निक्कू वार्ड सहित तीन वार्ड होने के बावजूद विशेषज्ञ चिकित्सक एक ही है। इस महिला चिकित्सक को भी सप्ताह में एक दिन तोशाम नागरिक अस्पताल में उपस्थित रहना होता है।
भिवानी के नागरिक अस्पताल में लगभग नौ साल पहले नौनिहालों के लिए जोर शोर से निक्कू वार्ड, एचडीयू तथा आईसीयू वार्डों की स्थापना की गई थी। उस समय शिशुओं की देखरेख को लेकर बड़े-बड़े दावे भी किए गए। जिस निक्कू वार्ड में नवजात बच्चों के लिए 24 घंटे चिकित्सक चाहिए, वहां अब एकमात्र चिकित्सक हैं जिन्हें ओपीडी में भी सेवाएं देनी होती हैं।
यूं भी भिवानी के नागरिक अस्पताल में चर्म रोग, ईएनटी, फिजियो आदि के पद तो लंबे समय से खाली पड़े हैं। ऐसे रोगी महंगे इलाज कराने के लिए मजबूर हैं। फिजीशियन, स्त्री रोग, मनोविज्ञान आदि के भी दो तिहाई पद खाली हैं। भिवानी जिले में चिकित्सकों के स्वीकृत कुल 239 पद हैं, जबकि महज 104 ही तैनात हैं। ये 239 पद भी आज से 20 वर्ष पूर्व की आबादी को आधार मानकार स्वीकृत किए गए थे, जबकि अब तो आबादी भी दो से तीन गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में पहले से ही स्वीकृत पदों की कमी झेल रही भिवानी की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं 104 चिकित्सकों के सहारे यहां की जनता से कितना न्याय करेंगी, इसका अंदाजा भी सहज लगाया जा सकता है।

Advertisement

अल्ट्रासाउंड विभाग के भी हाल खस्ता

अल्ट्रासाउंड विभाग के हाल भी खस्ता हैं। दो अल्ट्रासाउंड मशीनें होने के बावजूद चिकित्सक एक ही है। दूसरे चिकित्सक के पास प्रधान चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) का चार्ज होने के कारण उनकी व्यस्तताएं अन्य कार्यों में भी हैं। दिन में लगभग 150 अल्ट्रासाउंड के मामले आते हैं, लेकिन बमुश्किल आधों का ही अल्ट्रासाउंड हो पाता है।

आंखों के अस्पताल का अब बिगड़ा हाल

नेत्र रोग विभाग में एक भी स्थायी चिकित्सक नहीं है। एक समय यह गिने-चुने नेत्र रोग विभागों में से एक था। कई चिकित्सकों ने तो यहां विगत में 15-15 हजार आंखों के ऑपरेशन करके रिकॉर्ड बनाए थे। अब हालात बदतर हैं।

Advertisement

क्या कहते है मुख्य चिकित्सा अधिकारी

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रघुबीर शांडिल्य के अनुसार निक्कू वार्ड सहित अन्य चिकित्सा विभागों में नि:संदेह विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। फिर भी स्थानीय नागरिक अस्पताल व जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त बनाए रखने के पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाली पड़े पदों को भरने के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा गया है।

Advertisement
Advertisement