हरियाणा के खिलाड़ी, हिमाचल के बागवान समेत 139 को पद्म सम्मान
नयी दिल्ली, 25 जनवरी (एजेंसी)
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को 139 पद्म पुरस्कारों (19 पद्म भूषण और 113 पद्मश्री) की घोषणा की गयी। भारत के पहले सिख चीफ जस्टिस (सेवानिवृत्त) व चंडीगढ़ में पले-बढ़े जगदीश सिंह खेहर समेत सात हस्तियों को पद्म विभूषण से नवाजा जाएगा।
हरियाणा के साहित्यकार एवं लेखक डॉ. संतराम देसवाल और पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले देश के पहले पैरा एथलीट हरविंदर सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। पंजाब से हरजिंदर सिंह श्रीनगर वाले, ओंकार सिंह पाहवा और सेब सम्राट के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश के बागवान हरिमन शर्मा का नाम भी पद्मश्री के लिए घोषित किया गया है।
भारतीय हॉकी के महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश को पद्म भूषण सम्मान के लिए चुना गया है, जबकि हाल ही में क्रिकेट को अलविदा कहने वाले स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और पैरा एथलेटिक्स कोच सत्यपाल सिंह को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व लोकसभा अध्यक्ष रहे मनोहर जोशी, बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय, गजल गायक पंकज उधास को पद्म भूषण (मरणोपरांत) मिलेगा। फिल्म निर्माता शेखर कपूर को पद्म भूषण और गायक अरिजीत सिंह को पद्मश्री से नवाजा जाएगा।
30 गुमनाम नायकों काे पद्मश्री : गोवा की 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी लीबिया लोबो सरदेसाई और 150 महिलाओं को ढाक वादन में प्रशिक्षित करने वाले पश्चिम बंगाल के गोकुल चंद्र डे उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की गयी है।
मेजर मंजीत, नायक दिलवर को कीर्ति चक्र : सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 93 जवानों को वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है। इनमें 11 मरणोपरांत हैं। मेजर मंजीत और नायक दिलवर खान (मरणोपरांत) को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है। इनके अलावा कुल 942 पुलिस, अग्निशमन व नागरिक सुरक्षा कर्मियों को विभिन्न श्रेणियों के वीरता और सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।
सुशासन को नये आयाम देगा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ : मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सरकार की पहल को साहसपूर्ण दूरदर्शिता का एक प्रयास बताते हुए कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से सुशासन को नये आयाम दिए जा सकते हैं। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, ‘वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं।’ राष्ट्रपति ने हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को सहायता प्रदान करने के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने महाकुंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है।