लिम्ब प्रिजर्वेशन सर्जरी से हुआ 12 वर्षीय लड़की के टांग की हड्डी के कैंसर का इलाज
चंडीगढ़, 10 सितंबर (ट्रिन्यू)
ग्रेसिव हड्डी का कैंसर (इविंग सारकोमा ) से पीड़ित जम्मू की एक 12 वर्षीय लड़की को पारस हेल्थ पंचकूला में सफल उपचार के बाद नया जीवन मिला। लड़की की क्रायोथेरेपी तकनीक का उपयोग करके लिम्ब सेल्वेज सर्जरी / लिम्ब प्रिजर्वेशन सर्जरी की गई।
सर्जरी करने वाले ऑर्थो-ऑन्कोसर्जरी के सलाहकार डॉ. जगनदीप सिंह विर्क ने कहा कि 2 महीने पहले बच्ची के टांग की हड्डी में हड्डी के कैंसर का पता चला था। शुरुआत में कीमोथेरेपी हुई। इस सर्जरी में कैंसरग्रस्त हड्डी को काट कर शरीर से बाहर निकाला जाता है और तरल नाइट्रोजन/क्रायोथेरेपी तकनीक का उपयोग करके ऑपरेशन थिएटर में रीसाइकल्ड/स्टरलाइज़ किया जाता है। कटी हुई कैंसरग्रस्त हड्डी को लगभग 20 मिनट तक तरल नाइट्रोजन (जो शून्य से 196 डिग्री सेल्सियस नीचे एक तरल रसायन है) में डुबोया गया और 15 मिनट के लिए ओटी कमरे के तापमान पर रखा गया और फिर 10 मिनट के लिए डिस्टिल्ड वाटर में डुबोया गया और फिर इसे वापस मरीज के टांग में इम्प्लांट कर दिया गया, जहां से इसे निकाला गया था।
डॉ. जगनदीप सिंह विर्क ने बताया कि यह क्रायोथेरेपी तकनीक हड्डी में सभी कैंसर कोशिकाओं को मार देती है और रोगी में दोबारा इम्प्लांट करने से पहले हड्डी को रोगाणुरहित कर देती है। इस तकनीक को रीसाइक्लिंग ऑटोग्राफ्ट तकनीक भी कहा जाता है क्योंकि उसी कैंसरग्रस्त हड्डी को रीसाइकल्ड /स्टरलाइज़ किया जाता है और रोगी में वापस वहीं रख दिया जाता है जहां से इसे निकाला गया था। सर्जरी के बाद, अगले दिन से लड़की को खड़ा किया गया और वॉकर की मदद से चलना शुरू किया गया और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और फिजियोथेरेपी शुरू की गई।
ऑस्टियोटॉमी साइट (वह स्थान जहां से हड्डी काटी जाती है) के पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद 6-7 महीने में की जा सकती है, जिस समय तक मरीज़ सभी सामान्य गतिविधियाँ जैसे दौड़ना, साइकिल चलाना और अन्य सभी नियमित गतिविधियाँ शुरू कर सकते हैं जो उनके आयुह के अन्य बच्चे करते हैं। जानकारी देते हुए डॉ. जगनदीप सिंह विर्क ने कहा कि यह तकनीक कुछ साल पहले जापानी सर्जनों द्वारा शुरू की गई थी और इसे हजारों हड्डी के कैंसर रोगियों पर लागू किया गया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम आए हैं।