सीएम सहित 12 मंत्री ले सकते हैं शपथ, नायब सैनी फिर दिल्ली पहुंचे
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 अक्तूबर
हरियाणा कैबिनेट में शामिल होने के लिए भाजपा विधायकों द्वारा जबरदस्त तरीके से लॉबिंग की जा रही है। विधायकों ने नतीजों के बाद से ही नई दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। केंद्रीय नेताओं के साथ-साथ संघ मुख्यालय की परिक्रमा की जा रही है। इधर, भाजपा प्रदेश में कैबिनेट गठन को लेकर क्षेत्रीय व जातिगत संतुलन साधने को लेकर बैठकों के दौर से गुजर रही है। इस बीच, शुक्रवार को अचानक से कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को नई दिल्ली बुला लिया गया। दो दिन के दिल्ली प्रवास के दौरान नायब सिंह सैनी बृहस्पतिवार की रात ही चंडीगढ़ लौटे थे। शुक्रवार को वे चंडीगढ़ से कुरुक्षेत्र के लिए रवाना हुए। उन्होंने मंडियों का दौरा किया और खरीद प्रबंधों की समीक्षा की। संदेश आने के बाद नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से ही नई दिल्ली पहुंच गए। माना जा रहा है कि कैबिनेट गठन पर चर्चा के लिए ही उन्हें फिर से बुलाया गया है। मंत्रिमंडल को लेकर उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात हुई।
दिल्ली से जुड़े भाजपा सूत्रों का कहना है कि नायब सिंह सैनी का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है और वह संभवत्ा: 15 अक्तूबर को 11 से 12 मंत्रियों के साथ शपथ ले सकते हैं। भाजपा को प्रदेश की हर जाति का वोट मिला है।
ऐसे में भविष्य की राजनीति को देखते हुए भाजपा कैबिनेट में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करेगी। कैबिनेट में एक से दो महिलाओं को बतौर मंत्री शामिल किया जा सकता है।
इसी तरह कम से कम दो पंजाबी, दो जाट और दो ही एससी चेहरे कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। इस बार ब्राह्मण विधायक भी अधिक जीतकर आए हैं और प्रदेश के ब्राह्मणों ने खुलकर भाजपा का साथ भी दिया है। ऐसे में ब्राह्मण कोटे से भी दो मंत्री बन सकते हैं। वहीं वैश्य, रोड़, और राजपूत वर्ग को भी कैबिनेट में जगह मिलेगी। यादव कोटे से भी दो विधायकों को मंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना है। इसी तरह बीसी-बी वर्ग को भी सरकार में एडजस्ट किया जाएगा।
इन जाट नेताओं के नाम चर्चा में
भाजपा ने इस बार 16 जाट नेताओं को चुनाव लड़वाया था और इनमें से 6 जीत हासिल करने में कामयाब रहे। जाट कोटे से पानीपत ग्रामीण विधायक महिपाल सिंह ढांडा का कैबिनेट मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। संघ पृष्ठभूमि के ढांडा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। वे नायब सरकार में विकास एवं पंचायत राज्य मंत्री रहे। इसी तरह चरखी दादरी से चुनाव जीते जेलर सतपाल सुनील सांगवान को भी कैबिनेट में जगह मिलने की प्रबल संभावना है। जाट बाहुल्य दादरी जिला की दोनों सीटों – दादरी और बाढ़ड़ा में भाजपा ने जीत हासिल की है। राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी और पूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी का नाम भी चर्चाओं में है। श्रुति ने तोशाम से बंसीलाल के पोते और अपने ही चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को चुनाव हराया है। पूर्व मंत्री कृष्णा गहलोत ने राई से चुनाव जीता है। उनका नाम भी जाट और महिला कोटे से चर्चाओं में है। कुलदीप बिश्नोई अपने पारिवारिक मित्र और नलवा विधायक रणधीर सिंह पनिहार के लिए कोशिश कर सकते हैं।
पंजाबियों को लेकर भी दुविधा
भाजपा के आठ पंजाबी विधायक इस बार चुने गए हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जो काफी वरिष्ठ भी हैं। सबसे टॉप पर पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का नाम आता है। विज, मनोहर लाल के दोनों टर्म में कैबिनेट मंत्री रहे, लेकिन नायब सरकार में वे कैबिनेट में नहीं थे। चुनाव प्रचार के दौरान विज सीएम पद को लेकर भी दावा ठोक चुके हैं। करनाल से पहली बार विधायक बने जगमोहन आनंद को कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल जोर लगा सकते हैं। हांसी से तीन बार के विधायक विनोद भ्याना और तीन बार ही चुनाव जीत चुके जींद के डॉ़ कृष्ण मिड्ढा का नाम भी चर्चा में है। वहीं यमुनानगर से हैट्रिक लगा चुके घनश्याम दास अरोड़ा भी कैबिनेट की दौड़ में हैं। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने करीबी और बड़खल विधायक धनेश अदलक्खा के लिए कोशिश करेंगे।
रणबीर गंगवा की एडजस्टमेंट तय
बरवाला से विधायक बने रणबीर सिंह गंगवा की सरकार में एडजस्टमेंट तय है। मनोहर व नायब सरकार में वे डिप्टी स्पीकर रहे। उस समय वे नलवा से विधायक बने थे। पार्टी ने उन्हें बरवाला शिफ्ट कर दिया और वे यहां से भी जीतने में कामयाब रहे। उन्हें कैबिनेट में शामिल करने के साथ-साथ स्पीकर बनाए जाने की भी चर्चाएं हैं। स्पीकर पद को लेकर अनिल विज और इसराना विधायक कृष्ण लाल पंवार का नाम भी लिया जा रहा है। वहीं घरौंडा से जीत की हैट्रिक लगा चुके हरविंद्र सिंह कल्याण को रोड़ बिरादरी को प्रतिनिधित्व देने की लिहाज से मंत्री या फिर डिप्टी स्पीकर बनाया जा सकता है।
एससी कोटे से तीनों ‘कृष्ण’ लाइन में
भाजपा का इस बार एससी वोट बैंक पर भी विशेष फोकस रह सकता है। इस कोटे से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। 2014 में शाहबाद से विधायक रहे पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी ने इस बार नरवाना से चुनाव लड़ा। वे यहां भी जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे। ऐसे में बेदी की इस बार लॉटरी लगना तय मानी जा रही है। एससी चेहरों के रूप में दूसरा नाम इसराना के कृष्ण लाल पंवार और पटौदी के डॉ़ कृष्ण कुमार का लिया जा रहा है। यह भी संयोग है कि कैबिनेट की दौड़ में शामिल तीनों एससी चेहरों के नाम भी ‘कृष्ण’ ही हैं।
अहीरवाल को मिलेगा प्रतिनिधित्व
अहीरवाल की 11 सीटों में से 10 पर भाजपा ने जीत हासिल की है। इस बार भाजपा के छह अहीर नेता चुनाव जीते हैं। भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता में पहुंचाने में इस बेल्ट का इस बार भी योगदान रहा है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। बादशाहपुर विधायक राव नरबीर सिंह का भी मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के दिग्गज नेता राव दान सिंह को हराने वाले कंवर सिंह यादव और रेवाड़ी में पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव को शिकस्त देने वाले लक्ष्मण यादव के नाम की भी चर्चा हो रही है।
वैश्य कोटे से विपुल टॉप पर
मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रहे विपुल गोयल का नाम वैश्य कोटे से टॉप में माना जा रहा है। 2019 में उनकी टिकट कट गई थी लेकिन इस बार वे टिकट लेने में कामयाब रहे। भाजपा के इस बार दो ही वैश्य विधायक बन पाए हैं। भाजपा ने इस बार पांच वैश्य नेताओं को टिकट दी थी। इनमें से दो ही जीत सके। विपुल गोयल के अलावा भिवानी से घनश्याम सर्राफ विधायक बने हैं। हिसार में कमल गुप्ता को निर्दलीय सावित्री जिंदल ने चुनाव हरा दिया। सावित्री जिंदल अब भाजपा को समर्थन करने का ऐलान कर चुकी हैं। इसी तरह राजपूत कोटे से रादौर विधायक श्याम सिंह राणा का नाम चर्चाओं में है।
ब्राह्मण दिग्गजों पर फंसा पेंच
इस बार भाजपा के सात ब्राह्मण नेता चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें चार काफी हेवीवेट हैं और दो कांग्रेस के हेवीवेट नेताओं को चुनाव हराकर आए हैं। ब्राह्मण कोटे से दो नेताओं की एडजस्टमेंट संभव है। बल्लभगढ़ हलके से जीत की हैट्रिक लगा चुके और पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री मूलचंद शर्मा का नाम चर्चाओं में है। मूलचंद, नायब कैबिनेट के उन दो मंत्रियों में शामिल हैं, जो चुनाव जीते हैं। बाकी सभी हार गए। वहीं चार बार के सांसद और गोहाना से विधायक बने डॉ. अरविंद शर्मा का नाम भी कैबिनेट के लिए चर्चाओं में है। तीन बार के विधायक और सफीदों से चुनाव जीते रामकुमार गौतम के नाम पर भी चर्चा है। उचाना कलां से कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को पटकनी देने वाले देवेंद्र अत्री के लिए भी लॉबिंग हो रही है। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी व राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की माता शक्ति रानी शर्मा का नाम भी चर्चाओं में है।