जीएसटी के तहत पंजीकृत 10,700 कंपनियां मिलीं फर्जी
नयी दिल्ली, 24 सितंबर (एजेंसी)
कर अधिकारियों ने जीएसटी के तहत करीब 10,700 फर्जी पंजीकरण का पता लगाया है, जिनमें 10,179 करोड़ रुपये की कर चोरी शामिल है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य शशांक प्रिय ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण के लिए आधार प्रमाणीकरण पहले से ही 12 राज्यों में लागू है और चार अक्तूबर तक अन्य चार राज्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित 20 राज्य आधार प्रमाणीकरण शुरू करेंगे।
‘एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ (एसोचैम) के एक कार्यक्रम में शशांक प्रिय ने कहा कि भविष्य में कर अधिकारी नए करदाताओं पर उनके जोखिम ‘प्रोफाइल’ के आधार पर कुछ पाबंदियां भी लगा पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘हम प्रणाली के दुरुपयोग से बेहद दुखी हैं। हमें इन्हें रोकने के लिए सभी संभव तरीकों का इस्तेमाल करना होगा।’ सीबीआईसी के अधिकारी ने कहा कि सरकार फर्जी जीएसटी पंजीकरण की जांच के लिए लक्षित कार्रवाई कर रही है और अधिक भौतिक सत्यापन हो रहा है। फर्जी पंजीकरण के खिलाफ 16 अगस्त से शुरू हुआ दूसरा अखिल भारतीय अभियान 15 अक्तूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में बेमेल आंकड़ों की समस्या है, जिसके कारण पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में कर अधिकारियों द्वारा 1,12,852 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। उन्होंने साथ ही कहा कि भविष्य में जब जीएसटीआर-1ए और ‘इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम’ (आईएमएस) स्थिर हो जाएंगे तो जीएसटीआर-3बी को संपादित करने की सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी।
बी2सी के लिए ई-इनवॉयस का डिजाइन ढांचा तैयार
वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मनीष कुमार सिन्हा ने मंगलवार को कहा कि खुदरा विक्रेताओं के लिए जीएसटी ई-इनवॉयस (बिल) को लागू करने के लिए डिजायन ढांचा लगभग तैयार है और उद्योग विशेषज्ञों द्वारा इसकी जांच की जा रही है। ई-इनवॉयस पहले से ही बी2बी (कंपनियों के बीच) क्षेत्र में मौजूद है। जीएसटी परिषद ने इसी महीने अपनी बैठक में प्रायोगिक आधार पर बी2सी (कंपनियों से ग्राहकों तक) क्षेत्र में भी ई-इनवॉयस को लागू करने का फैसला किया था। सिन्हा ने कहा कि जीएसटी विभाग फिलहाल प्रत्येक बी2सी लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक चालान जारी करने के लिए उद्योग के साथ चर्चा कर रहा है। जीएसटी कानून के तहत, एक अक्तूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था। बाद में इसका दायरा पांच करोड़ रुपये से अधिक तक कर दिया गया।