हुड्डा सरकार ने 887, भाजपा ने 2147 काॅलोनियां की नियमित
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अप्रैल
नेताओं व अधिकारियों की मिलीभगत से शहरों में अवैध कालोनियां विकसित करने का खेल बरसों से चला आ रहा है। हालांकि बाद में सरकार को ऐसी कालोनियों को नियमित भी करना पड़ता है। पिछले 20 वर्षों में कांग्रेस और भाजपा सरकार ने 3 हजार 34 अवैध कालोनियों को नियमित भी किया है। 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले नियमों को और भी सरल बनाते हुए उन कालोनियों को भी रेगुलर किया गया, जिनमें 20 प्रतिशत ही मकान बने हुए थे।
सरकारी संरक्षण में अवैध कालोनियों विकसित होने के आरोप भी लगते रहे हैं। मौजूदा भाजपा सरकार अवैध कालोनियों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि पिछले 10 वर्षों में प्रदेश में सबसे अधिक अवैध कालोनियां काटी गईं। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि कई शहरों में सत्तारूढ़ नेताओं के संरक्षण में भू-माफिया ने अवैध कालोनियों का जाल बिछाया। कांग्रेस ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में प्रदेशभर में कुल 887 अवैध कालोनियों को नियमित किया था।
वहीं मौजूदा भाजपा सरकार 10 वर्षों में 2 हजार 147 कालोनियों को नियमित कर चुकी है। इनमें से 1461 कालोनियों स्थानीय निकायों – नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के दायरे में आती थी। यानी ये कालोनियां शहर में ही बसाई गईं। वहीं बाकी की कालोनियों शहरों से बाहर थी। इन कालोनियों को सर्वे के बाद टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की रिपोर्ट और सिफारिश पर पहले मनोहर और बाद में नायब सरकार ने नियमित किया।
हुड्डा सरकार में जींद और पंचकूला जिला में एक भी कालोनी को वैध नहीं किया गया था। इनके अलावा अंबाला में 103, भिवानी में 18, फरीदाबाद में 66, फतेहाबाद में 41, गुरुग्राम में 97, हिसार में 77, झज्जर में 43, जींद में 100, करनाल में 44, कुरुक्षेत्र में 46, कैथल में 28, महेंद्रगढ़ में 25, नूंह में 3, पलवल में 25, पानीपत में 19, रेवाड़ी में 13, सोनीपत में 36, रोहतक में 55, सिरसा में 33 तथा यमुनानगर में 15 अवैध कालोनियों को हुड्डा सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में नियमित किया गया।
वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने पिछले दस वर्षों में नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं से आई रिपोर्ट के आधार पर कुल 1461 अवैध कालोनियों को नियमित किया है। भाजपा ने 2017 में 24, 2018 में 653, 2019 से 2022 तक 8, 2023 में 494 तथा 2024 में कुल 282 अवैध कालोनियों को नियमित किया। आमतौर पर अवैध कालोनियों को नियमित करने का फैसला लोकसभा व विधानसभा चुनावों से पहले लिया जाता है। सरकारों की नजर इन कालोनियों में रहने वाले लोगों के वोट बैंक पर भी रहती है। अवैध कालोनियों पर शिकंजा कसने के लिए मनोहर सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय आवास योजना की शुरुआत की गई। इसके तहत शहरों में पांच एकड़ और इससे अधिक जमीन में कालोनी काटने के लिए लाइसेंस दिए गए। इन कालोनियों में 90-100 वर्गगज से लेकर 180 वर्गगज तक के प्लाट काटे जाते हैं।
अब तक 3937 कॉलोनी ध्वस्त
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का दावा है कि सरकार नियमित आधार पर अवैध कॉलोनियों के खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई कर रही है। इसमें अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करना और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है। जनवरी-2015 से अभी तक सरकार ने प्रदेशभर में ऐसी 6 हजार 904 कॉलोनियों की पहचान की गई। इनमें से अभी तक 3 हजार 937 कालोनियों को ध्वस्त किया जा चुका है। ये कालोनियां 26 हजार 650 एकड़ भूमि में काटी गई थी। इतना ही नहीं, 1 हजार 879 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
विकास के लिए बना प्लान
सरकार ने अवैध से नियमित होने वाली कालोनियों में विकास का भी प्लान बनाया हुआ है। इसके लिए बाकायदा विधानसभा में विधेयक पास किया जा चुका है। वैध हुई कालोनियों में विकास कार्यों के लिए सरकार ने विकास शुल्क तय किया हुआ है। विकास शुल्क की दरें प्लाट के साइज के हिसाब से प्रति वर्गगज के हिसाब से तय की गई हैं। विकास शुल्क के बाद सरकार अपनी ओर से फंड जारी करती है ताकि बिजली-पानी, सीवरेज, स्ट्रीट लाइट व पार्क जैसी मूलभूत सुविधाएं लोगों को मुहैया करवाई जा सकें।
- कांग्रेस शासनकाल में कॉलोनियां विकसित करने का कोई रोडमैप नहीं था। इससे अवैध कॉलोनियां लगातार विकसित होती चली गईं। वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में अवैध कॉलोनियों पर पूर्ण नियंत्रण रहा है। सरकार ने उन कॉलोनियों को भी नियमित किया है, जो पहले की सरकार में विकसित हुई थी। ~
-नायब सिंह सैनी, सीएम
- सरकारी संरक्षण में अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। कई शहरों में तो सरकार में बैठे लोग ही कालोनियां काट रहे हैं। कांग्रेस सरकार में सीएलयू का बड़ा खेल होता था। वहीं अब भाजपा सरकार में अवैध कालोनियां काटकर लोगों को ठगा जा रहा है। ~
-आदित्य देवीलाल, विधायक इनेलो