हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने लगाया प्रापर्टी में हेराफेरी का आरोप, मामला दर्ज
सुरेंद्र शर्मा नांगल चौधरी के रहने वाले हैं। उनके परिवार की नांगल चौधरी और सरेली में काफी भूमि है। सुरेंद्र के पिता 70 साल पहले दिल्ली में रहने लगे थे। सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि उनके पिता ने गांव में धर्मशाला बनवाई थी। इसके बाद उन्होंने धर्मशाला की ऊपरी मंजिल का निर्माण करवाया था। पिता बालकिशन शर्मा की इच्छा थी कि धर्मशाला का इस्तेमाल हर बिरादरी के लोग करें। धर्मशाला का इस्तेमाल वर्तमान में आरोपी पुष्करमल व उनके परिवार द्वारा स्कूल के रूप में किया जा रहा है। जब उन्हें पता चला तो बात बढ़ाने की बजाय सुरेंद्र शर्मा ने स्कूल में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाने और स्कूल का नाम उनके पिता के बाबा राम स्वरूप नाम से करने की बात कही थी। आरोपियों ने उनकी बात नहीं मानी।
उन्होंने बताया कि हाल ही में दीपावली के पास भतीजी लता शर्मा से उन्हें पता चला कि उनके फर्जी हस्ताक्षर के आधार पर एक वकालतनामा लगाया गया। इस वकालतनामा का इस्तेमाल कहां-कहां हुआ है, यह जांच करवाने के लिए पुलिस को शिकायत दी गई है। कवि सुरेंद्र शर्मा और उनकी भतीजी लता शर्मा ने एडवोकेट हेमंत शर्मा से निरीक्षण करवाने के बाद पुलिस को शिकायत दी है। उन्होंने बताया कि यह भी पता चला कि परिवार की प्राॅपर्टी की बंटवारा (तकसीम) के मामले में सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी नांगल चौधरी ने पांच अगस्त 2010 को एप्लीकेशन लगाई गई थी। 30 नवंबर 2010 को फैसला कर दिया गया। तकसीम से संबंधित दावा डालने से पहले ही 2009 में सुरेंद्र शर्मा को सम्मन जारी करना दर्शाया गया। सुरेंद्र शर्मा को 16 नवंबर 2009 व 18 नवंबर 2009 को सम्मन तामील दर्शाए गए हैं। स्वीकृत तकसीम के लिए इन दोनों सम्मनों पर सुरेंद्र शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर किए हुए हैं।
हास्य कवि ने बताया कि आरोपियों ने उनकी बुआ पाना और बिमला के बच्चों के भी हस्ताक्षर फर्जी करवाए हुए हैं। इस मामले की शिकायत उन्होंने उपायुक्त, एसपी और आईजी को की है। उन्होंने बताया कि उपायुक्त ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं।