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हाउस मीटिंग में एजेंडों पर नहीं, वित्तीय स्थिति पर हो चर्चा : बंटी

07:07 AM Apr 29, 2025 IST
हाउस मीटिंग में एजेंडों पर नहीं  वित्तीय स्थिति पर हो चर्चा   बंटी
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 28 अप्रैल (हप्र)
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चंडीगढ़ नगर निगम की 30 अप्रैल की जनरल हाउस मीटिंग इस बार एक अलग अंदाज में होने वाली है। निगम के सीनियर डिप्टी मेयर जसवीर सिंह बंटी ने निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर मांग की है कि इस बार की बैठक में नए एजेंडे पारित करने की बजाय निगम की गंभीर होती वित्तीय स्थिति पर प्राथमिकता से चर्चा की जाए। बंटी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि विगत कई हाउस मीटिंग्स में करोड़ों रुपये के प्रस्तावों को पारित किया गया था, लेकिन निगम की मौजूदा वित्तीय हालत के चलते उन प्रस्तावों पर आज तक टेंडर तक नहीं लगाए जा सके हैं। ऐसे में यदि इस बार भी बैठक में नए करोड़ों के एजेंडे पारित कर दिए जाते हैं, तो वे भी व्यर्थ सिद्ध होंगे क्योंकि निगम के पास उन कार्यों के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध नहीं है।

सीनियर डिप्टी मेयर ने स्पष्ट किया कि चालू वर्ष में निगम को पहले के मुकाबले अधिक फंड आवंटित किया गया था। बावजूद इसके, यह संपूर्ण राशि मात्र छह महीनों के भीतर ही समाप्त हो गई। परिणामस्वरूप, शहर के विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए हैं और निगम में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की नौकरियां भी खतरे में आ गई हैं। जसवीर बंटी ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति को जल्द नहीं सुधारा गया और निगम के भीतर हो रही वित्तीय कुप्रबंधन (मिसमैनेजमेंट) की गंभीरता से जांच नहीं की गई, तो वह दिन दूर नहीं जब नगर निगम के संचालन पर ही संकट आ जाएगा और ताले लगाने जैसी नौबत आ सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि निगम के सभी पार्षदों और अधिकारियों को मिलकर एक विशेष बैठक बुलानी चाहिए, जिसमें निगम के खर्चों, फंड के दुरुपयोग और मिसमैनेजमेंट की गहन समीक्षा की जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में फंड का उपयोग पारदर्शिता और प्राथमिकता के आधार पर हो ताकि निगम की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाया जा सके।

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नई बहस छिड़ी 

जसवीर सिंह बंटी की इस पहल ने निगम के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 30 अप्रैल को होने वाली हाउस मीटिंग में पार्षद और अधिकारी इस मसले पर किस प्रकार का रुख अपनाते हैं और क्या वाकई निगम की जर्जर वित्तीय हालत को सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाता है या फिर यह मुद्दा भी अन्य कई मसलों की तरह कागजों में ही दबकर रह जाएगा।

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