हरियाणा में ‘मालामाल’ होंगे प्राकृतिक खेती करने वाले किसान
चंडीगढ़, 18 जनवरी
हरियाणा अब प्राकृतिक खेती की ओर लौटेगा। प्रदेश के किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाया जाएगा। कीटनाशकों के अत्याधिक इस्तेमाल से फैल रही बीमारियाें व फसलों पर पड़ रहे विपरीत असर को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। प्रदेश की नायब सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करेगी। इस बार के बजट में उनके लिए विशेष सब्सिडी का ऐलान हो सकता है।
इतना ही नहीं, राज्य में प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों की फसलों के लिए अलग से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी तय होगा। साथ ही, किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिए अलग से मंडियां भी स्थापित की जाएंगी। पहले चरण में हर जिले में कम से कम एक मंडी स्थापित करने की योजना है। राज्य के कृषि एवं बागवानी मंत्री श्याम सिंह राणा इस योजना को लेकर काम कर चुके हैं। अधिकारियों की मदद से वह पूरी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।
प्राकृतिक व ऑर्गेनिक फसलों के एमएसपी और अलग मंडियों का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद वह इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ बातचीत करेंगे। केंद्र की मोदी सरकार भी देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पक्षधर है। गुजरात के राज्यपाल व कुरुक्षेत्र गुरुकुल के आचार्य देवव्रत द्वारा प्राकृतिक खेती की मुहिम को हिमाचल के बाद अब गुजरात व हरियाणा में आगे बढ़ाया जा रहा है। हरियाणा में पूर्व की मनोहर सरकार भी प्राकृतिक खेती को लेकर बजट में विशेष प्रावधान कर चुकी है।
हरियाणा में तीन तरह की खेती होती है। अभी तक भी रासायनिक खेती पर ही किसानों का अधिक जोर है। कुछ किसान ऑर्गेनिक खेती की ओर आगे बढ़े हैं। वहीं प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। प्राकृतिक खेती, ऑर्गेनिक खेती के मुकाबले सस्ती है, लेकिन इसमें मेहनत काफी है। वहीं रासायनिक खेती में मेहनत कम है।
किसानों की ट्रेनिंग भी होगी
प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को ट्रेनिंग भी सरकार दिलाएगी। हालांकि पूर्व में राज्य में प्राकृतिक खेती होती रही है, लेकिन कीटनाशकों के मार्केट में आने के बाद किसानों ने इस आसान तरीके को अपनाना शुरू कर दिया। कीटनाशकों का अत्याधिक इस्तेमाल कैंसर सहित कई दूसरी गंभीर बीमारियों का सबब बन रहा है। पूर्व की मनोहर सरकार प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को गाय की खरीद पर सब्सिडी देने का निर्णय कर चुकी है। प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर और मूत्र का अहम रोल है।
मार्केट बिना कामयाबी नहीं
बेशक, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की कोशिशें लंबे समय से हो रही हैं लेकिन सरकार इसमें कामयाब नहीं हो पायी। पूर्व के अनुभवों व सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि किसान प्राकृतिक उत्पाद तैयार तो कर लें, लेकिन उनके सामने मार्केट का संकट है। इसीलिए अब नायब सरकार प्राकृतिक उत्पादों के लिए अलग से एमएसपी तय करने के साथ-साथ मंडियों का भी प्रबंध करने की तैयारी में जुटी है। पहले चरण में हर जिले में कम से कम एक मंडी स्थापित होगी। दिल्ली से सटे जिलों में मंडियों की संख्या अधिक भी हो सकती है।
हरियाणा, देश का पहला ऐसा राज्य है जहां 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदा जा रहा है। हम किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए विशेष प्लानिंग की जा रही है। प्राकृतिक फसलों के लिए एमएसपी भी अलग से तय करेंगे। इन फसलों की बिक्री के लिए हर जिले में कम से कम एक मंडी स्थापित की जाएगी। जल्द ही इस संदर्भ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात करके पूरी कार्ययोजना उनके सामने रखूंगा। - श्याम सिंह राणा, कृषि व बागवानी मंत्री