हरियाणा में बढ़ेगी औषधीय पौधों की खेती : प्रो. सुरेश मल्होत्रा
करनाल, 8 मार्च (हप्र)
स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक समृद्धि के लिए अश्वगंधा की खेती के प्रति अनुसूचित जाति की जागरूकता के लिए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल में अश्वगंधा के औषधीय गुणों तथा इसकी खेती के फायदों को लेकर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रायोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शनिवार को शुभारंभ हुआ। राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर नेशनल मेडिसनली प्लांट बोर्ड आयुष मंत्रालय, नयी दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेश दधीचि ने विशेष तौर पर शिरकत की।
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति प्रो. सुरेश ने राष्ट्रीय कार्यशाला में आई महिला किसानों को महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि औषधीय पौधों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है और हमारे देश के करीब 70-80 प्रतिशत लोग अभी भी औषधीय पौधों पर निर्भर है। आज की राष्ट्रीय कार्यशाला में अश्वगंधा पर फोकस किया है, वैसे तो और भी औषधीय पौधे हैं, जिन्हें हरियाणा और केंद्र सरकार प्रमोट कर रही है।
तुलसी, अश्वगंधा, सफेद मूसली बहुत सारी फसलें है, जो हमारी जलवायु के माफिक हैं। नेशनल मेडिसनली प्लांट बोर्ड आयुष मंत्रालय द्वारा हरियाणा में भी कार्य किया जा रहा है, कैसे अश्वगंधा का क्षेत्रफल बढ़ाया जाए ताकि किसान भाई परपंरागत खेती को छोड़कर औषधीय पौधों की खेती की ओर बढ़ें।
औषधीय पौधों की मार्केट बहुत बड़ी : डा. महेश
नेशनल मेडिसनली प्लांट बोर्ड आयुष मंत्रालय, नयी दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेश कुमार ने कहा कि हरियाणा में अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने के लिए हमने विश्वविद्यालय को यह प्रोजेक्ट दिया है। इसमें किसानों विशेषकर एससी, एसटी वर्ग के लोगों की आय को बढ़ाने के लिए उनमें जागरूकता लाई जाएगी। इसके तहत किसानों को 2 लाख पौधे नि:शुल्क दिये जाएंगे। औषधीय पौधों की मार्केट बहुत बड़ी है, मांग के हिसाब से हम केवल 25 प्रतिशत ही उत्पादन कर रहे हैं।
अश्वगंधा एक किफायती फसल : डॉ. बिमला
कार्यशाला के प्रारूप का प्रस्तुतीकरण करते हुए कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. बिमला सिंह ने अश्वगंधा के विभिन्न आयामों पर आगामी सत्र में विषय विशेषज्ञों द्वारा चर्चा का ब्योरा दिया। उन्होंने अश्वगंधा की खेती के औषधीय गुण एवं इसके उत्पादों द्वारा आय संवर्धन की संभावनाओं पर बल देते हुए कार्यशाला की उपयोगिता को प्रतिभागियों के बीच साझा किया। उन्होंने कहा कि साधनहीन किसानों के लिए अश्वगंधा को एक किफायती फसल के तौर पर उन्होंने अपनाने पर प्रोत्साहित किया। कार्यशाला के दौरान कुलपति व मुख्य अतिथि ने एमएचयू के प्रांगण में लगी प्रदर्शनी का निरीक्षण किया।