हरियाणा में पर ओलावृष्टि की मार, मुआवजे की मांग
कनीना, 28 दिसंबर (निस)
कनीना क्षेत्र में बीती रात हुई ओलावृष्टि से सरसों की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिसे लेकर किसानों ने मुआवजे की मांग की है। इस पर कृषि एवं भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों ने शनिवार को ओलावृष्टि से प्रभावित फसल का जायजा लिया।
कनीना विकास खंड में करीब 32 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 19500 हेक्टेयर पर सरसों और 9700 हेक्टेयर पर गेहूं की बिजाई की गई है। शुक्रवार रात बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से सात गावों- पोता, सेहलंग, अगिहार, बागोत, स्याणा, तलवाना, खेडी में सरसों की फसल को नुकसान की अधिक संभावना जताई गयी है। कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी डाॅ. अजय यादव ने बताया कि पोता गांव मे 900 एकड़, स्याणा में 600 एकड़ में सरसों की फसल में 50 से 75 फीसदी नुकसान का आकलन किया गया है। बागोत में करीब 125 एकड़ में 25 फीसदी, सेहलंग व तलवाना में करीब 250 एकड़ में 25 से 50 फीसदी, अगिहार में करीब 200 एकड़ में 25 से 50 फीसदी, खेडी के 150 एकड़ में 25 फीदसी तक नुकसान की संभावना है।
नुकसान का जायजा लेने पहुंची टीम में कृषि विभाग के एसडीओ डाॅ. अजय यादव के अलावा डाॅ. योगेश चंद्र, मनोज पटवारी, प्रदीप कुमार पटवारी, महेंद्र सिंह खटाना पटवारी भी शामिल थे।
देवेंद्र सिंह नम्बरदार अगिहार, दलबीर सिंह सरपंच अगिहार, सुरेंद्र सिंह नम्बरदार खेडी, छत्रपाल सिंह तलवाना, बीर सिंह, हनुमान सिंह, मुकेश यादव, संतलाल, राजेश, सुभाष, लोकेश, कुलदीप, सतीश, अनूप सिंह, कुलदीप जांगडा, शमशेर सिंह, मागेंराम शर्मा, नरवीर सिंह, नरेश, वीरपाल स्याणा, वीरेंद्र ने भी खेतों में जाकर सरसों की फसल का जायजा लिया। अटेली की विधायक एवं प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने कहा कि बारिश व ओलावृष्टि से खराब हुई सरसों की फसल का सर्वे करवाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट मिलने के बाद उचित मुआवजा दिलाया जाएगा।
हथीन क्षेत्र में भी बिछी फसल
हथीन (निस) : शुक्रवार रात करीब एक बजे हुई ओलावृष्टि से हथीन क्षेत्र में सब्जी और सरसों की फसल को नुकसान हुआ। गेंहू और जौ की फसल भी प्रभावित हुई है। सरसों की फसल में 50 से 70 फीसदी तक नुकसान बताया जा रहा है। किसान नेता मास्टर महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि सरसों और सब्जी वाली फसलों की गिरदावरी कर मुआवजा दिया जाना चाहिए। मटर, आलू, गोभी, पालक को ज्यादा नुकसान हुआ है। वहीं, कृषि अधिकारियों का कहना है कि इसका आकलन 48 घंटे बाद हो पाएगा।