हथिनीकुंड बैराज पर पानी की सप्लाई हुई बेहद कम
सुरेंद्र मेहता/ हप्र
यमुनानगर, 8 जनवरी
एक तरफ जहां हरियाणा और राजस्थान में एमओयू साइन हो रहा है कि यमुना के सरप्लस पानी को राजस्थान भेजा जाएगा। वहीं, दूसरी ओर यमुना में इस समय पर्याप्त पानी नहीं है, जिसके चलते हरियाणा के कई जिलों में पानी की सप्लाई ठीक से नहीं हो पा रही। पिछले कुछ दिनों से हथिनी कुंड बैराज पर यमुना का जलस्तर 2000 से 3000 क्यूसेक के बीच में ही चल रहा है, जो कि काफी कम है।
हथिनी कुंड बैराज पर यमुना का जलस्तर पहाड़ी इलाकों में होने वाली वर्षा एवं पहाड़ों पर बर्फ पिघलने के कारण आने वाले पानी से होता है। पिछले काफी समय से वर्षा नहीं हुई, वहीं पहाड़ों पर बर्फ भी उतनी नहीं पड़ी, जिसकी वजह से यमुना का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। यमुना पर जलस्तर कम होने से जहां पानी पर आधारित चारों बिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन ठप है, पानी पर आधारित बिजली परियोजनाओं को चलाने के लिए 5200 क्यूसेक पानी चाहिए, जो पिछले कई महीनो से यमुना में नहीं है, इसके चलते बिजली उत्पादन ठप है।
कई बार ऐसी स्थितियां भी पैदा होती हैं, जिससे उत्तर प्रदेश को पानी की सप्लाई बिल्कुल बंद करनी पड़ती है। वैसे हथिनीकुंड बैराज पर जो जल आता है, वह पांच राज्यों में विभाजित होना होता है। कई बार जलस्तर 2000 क्यूसेक से भी कम हो जाता है, जिसके चलते अन्य प्रदेशों को पानी की सप्लाई बंद करनी पड़ती है। वैसे तय नियम के मुताबिक यमुना में 352 क्यूसेक पानी जंगली जानवरों और पशु पक्षियों के लिए छोड़ना होता है, वह लगातार दिया जा रहा है।
हरियाणा के कई जिले पश्चिमी यमुना नहर पर ही निर्भर रहते हैं, उन्हें पानी की सप्लाई लगातार नहीं हो रही, जिसके चलते हरियाणा के कई जिले प्रभावित हो रहे हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हथिनी कुंड बैराज पर पानी आना पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है। अगर पहाड़ी इलाकों में वर्षा होगी, बर्फबारी होगी, तो हथिनी कुंड बैराज पर यमुना में पानी आएगा। पिछले काफी समय से पानी 3000 क्यूसेक से अधिक नहीं हो रहा, जिसके चलते हरियाणा के कई इलाकों में दिक्कत पैदा हुई है।