हकृवि वैज्ञानिक की मौत मामले में हौटा ने नकारे आरोप
हिसार, 17 दिसंबर (हप्र)
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) की महिला वैज्ञानिक डॉ. दिव्या फोगाट को लेकर किए जा रहे आंदोलन के बीच मंगलवार को विवि शिक्षक संघ (हौटा) कार्यकारिणी की बैठक हौटा प्रधान डॉ. अशोक गोदारा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि जैसा डॉ. दिव्या के विषय में कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने उनकों प्रताड़ित किया, हौटा इस आरोप को सिरे से खारिज करता है। उन्होंने कहा कि डॉ. दिव्या फोगाट की नियुक्ति इसी सरकार में बिना खर्ची व पर्ची के हुई। इस वैज्ञानिक को विश्वविद्यालय ने लड़कियों के हॉस्टल के वार्डन की जिम्मेवारी भी दे रखी थी, जिससे पता चलता है कि प्रशासन को उन पर कितना भरोसा था।
हौटा को भी डॉ. दिव्या फोगाट की असमय मृत्यु पर बड़ा दुख है व सांत्वना प्रकट करता है, लेकिन वह लंबे समय से गंभीर बीमारी से ग्रस्त थी। जहां तक मैक्सिको न भेजने की बात फैलाई जा रही है, तथ्यों की जानकारी के आधार पर बताना चाहते हैं कि वहां जिस विषय पर प्रशिक्षण होना था, उस क्षेत्र में डॉ. ओपी बिश्नोई पिछले 30 वर्षों से कार्य कर रहे थे। इस विषय में इतने अनुभव का और कोई वैज्ञानिक नहीं था, जबकि डॉ. दिव्या को ज्वाइन करे चार साल भी नहीं हुए थे।
हौटा यह मानती है कि जो लोग डॉ. ओपी बिश्नोई का नाम उछाल रहे हैं उनकी जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने गेहूं की दर्जनों किस्मों को इजाद करने में अपना योगदान दिया है जिसमें मुख्य रूप से डब्ल्यू एच 1270 गेहूं की किस्म जिसका उत्पादन क्षमता व मांग पूरे भारत में सबसे ज्यादा है। इसको विकसित करने के लिए डॉ. ओपी बिश्नोई मुख्य प्रजनक वैज्ञानिक है जबकि आमतौर पर किस्म की पब्लिकेशन में विभाग के सभी 10 से 15 वैज्ञानिकों का नाम आता है।
जहां तक बांग्लादेश जाने की बात है तो वहां गेहूं में रोग संबंधित प्रशिक्षण था तो विश्वविद्यालय का नियम यह कहता है कि उसमें गेहूं के रोग पर कार्य करने वाला वैज्ञानिक ही जाए। डॉ. दिव्या गेहूं में प्रजनन पर विशेषज्ञ थी न कि गेहू रोग की।