स्वाभिमान और प्रतिकार
04:00 AM Jan 21, 2025 IST
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एक बार भरतपुर में स्वराज आंदोलन के साथ ही संपादक सम्मेलन भी आयोजित हो रहा था। वहां जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार पंडित माखनलाल चतुर्वेदी अंग्रेज सिपाहियों से डरे बिना मातृभूमि के बलिदान का काव्य पाठ जोर-शोर से कर रहे थे। इतना ही नहीं, वह ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ धधकती हुई वाणी में विचारों का सैलाब बहा रहे थे। जनता आंदोलित हो रही थी। फलस्वरूप उन्हें हिरासत में लेकर कारावास तक पहुंचा दिया गया था। मगर वे तनिक भी घबराए नहीं। अपने समाचारपत्र प्रभा, प्रताप और कर्मवीर में वह सरकार का विरोध करते रहे। उनका कहना था कि खुद में थोड़ा स्वाभिमान होना ज़रूरी है, वरना लोग तुम्हें वहां भी दबाने की कोशिश करेंगे, जहां अधिकार तुम्हारा है।
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प्रस्तुति : मुग्धा पांडे
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