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स्पेशल वार्ड बना कबाड़ रूम, सिविल सर्जन ने लगाई फटकार

04:51 AM Apr 16, 2025 IST
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जींद में मंगलवार को सिविल अस्पताल का निरीक्षण करती सिविल सर्जन डॉ सुमन कोहली। -हप्र

जींद, 15 अप्रैल (हप्र)
सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में नया वार्ड मरीजों की सुविधा के लिए बना था, उसे अस्पताल प्रशासन ने कबाड़ रूम में बदल दिया है। सिविल सर्जन और सिविल अस्पताल की पीएमओ डॉ सुमन कोहली ने इसे गंभीरता से लिया और अस्पताल प्रशासन को शुक्रवार तक पुरानी बिल्डिंग के नए वार्ड को कबाड़ से खाली करवा कर वार्ड में बदलने के आदेश दिए हैं। सिविल सर्जन डॉ़ सुमन कोहली के पास जींद के सिविल अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी का कार्यभार भी है। पिछले दिनों उन्होंने जींद में इन दोनों पदों पर कार्यभार ग्रहण किया है। मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ सुमन कोहली ने सिविल अस्पताल का निरीक्षण किया। प्रसूति वार्ड से लेकर सिविल अस्पताल की पुरानी और नई दोनों बिल्डिंग का गहन निरीक्षण किया। जब सिविल सर्जन सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग के अंत में बने नए वार्ड में गई, तो इसके 4 कमरे कबाड़ से भरे हुए मिले। इस नए वार्ड में 4 कमरे कभी सिविल अस्पताल के स्पेशल वार्ड होते थे, जिन्हें अस्पताल प्रशासन ने काफी समय से कबाड़ जमा करने के स्टोर में बदल दिया है। सिविल सर्जन ने इसका गंभीर नोटिस लेते हुए डिप्टी एमएस को आदेश दिए कि शुक्रवार तक पुरानी बिल्डिंग के स्पेशल वार्ड के सभी कमरों को कबाड़ से खाली करवाया जाए। यह सभी कमरे स्पेशल वार्ड के रूप में इस्तेमाल हों। सिविल सर्जन ने कहा कि वह शुक्रवार को फिर अस्पताल का निरीक्षण करेंगी, तब तक सब कुछ नहीं होना चाहिए।
चौटाला के शासन में बना था नया वार्ड
सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में यह नया वार्ड वर्ष 2002 में तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने बनवाया था। यह वार्ड 50 बेड का है। इसके कारण ही जींद का सिविल अस्पताल अपग्रेड हुआ था। निरीक्षण के दौरान उनके साथ डिप्टी सिविल सर्जन डॉ पालेराम कटारिया, डिप्टी एमएस डॉ राजेश भोला, एसएमओ डॉ अरविंद, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ रमेश पांचाल, डॉ संकल्प डोडा आदि भी थे।
नए सिरे से संकेतक लगवाने के निर्देश

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सिविल सर्जन डॉ सुमन कोहली ने निरीक्षण के दौरान यह महसूस किया कि क्वालिटी कंट्रोल एश्योरेंस के तहत सिविल अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए जो संकेतक लगाए गए हैं, वे सही नहीं हैं। संकेतक इस तरह से लगे हैं कि मरीजों और उनके परिजनों को आसानी से यह पता नहीं लगता कि कौन सा वार्ड किस तरफ है। उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को सभी संकेतक को सही तरीके से लगवाने के निर्देश दिए।

 

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