स्नेह और सामंजस्य
04:00 AM Jan 25, 2025 IST
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एक बार ईसा मसीह गांव में लोगों के बीच चर्चा कर, उनको अपने अनुभव सुना रहे थे। एक युवक ने उनको अपने घर की रसोई में तैयार गर्म सूप पीने को दिया। यीशु ने मनोयोग से वह सूप पिया, उसके बाद कृतज्ञता के भाव से श्रद्धावान होकर युवक के समक्ष सम्मान प्रदर्शन किया। अब युवक ने उनसे अपनी गहरी जिज्ञासा का समाधान चाहा और सवाल किया कि जब एक समूह में एक-दो लोग हमारे बहुत ही आत्मीय होते हैं, तो बाकी लोगों से भी सामंजस्य कैसे बनायें।’ ‘यह तो बहुत ही आसान है।’ यीशु ने हौले-हौले से मुस्कुराते हुए कहा, ‘हम सब के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर सकते परन्तु सब को एक जैसा प्रेम और स्नेह तो प्रदान कर ही सकते हैं। स्नेह; व्यवहार और शिष्टाचार से परे है।’ मन जब कोई नकारात्मक भाव पैदा करता है तब यह प्रेम इस मन को काफी ऊंचा उठा देता है। प्रस्तुति : पूनम पांडे
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