स्कूल खस्ताहाल, ठंड में जमीन पर बैठ पढ़ने को मजबूर नौनिहाल
अजय मल्होत्रा/ हप्र
भिवानी, 28 दिसंबर
हरियाणा शिक्षा विभाग प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध करवाने के चाहे कितने ही दावे कर ले, लेकिन धरातल पर अब भी कई स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए कमरे, ड्यूल डेस्क, शौचालयों की भारी कमी है।
ऐसा ही एक विद्यालय गांव प्रेमनगर स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला व राजकीय उच्च विद्यालय है, जहां बच्चों के बैठने के लिए न तो ड्यूल डेस्क है और न ही पीने के पानी की सुविधा। इस स्कूल का निर्माण 2006 में किया गया था। प्राथमिक पाठशाला में विद्यार्थियों की संख्या लगभग 50 और उच्च विद्यालय में 150 के करीब है। डेस्क न होने के कारण नौनिहाल इस भीषण सर्दी में जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
पानी की टंकी जीर्ण-शीर्ण
इन विद्यालयों में पीने के पानी की टंकी खस्ताहाल है। बच्चों को विद्यालय के बाहर चारदीवारी के साथ आम राहगीरों के लिए बनी टंकी से पानी पीने जाना पड़ता है। यह टंकी गांव की मुख्य सड़क पर होने के कारण बच्चों के साथ दुर्घटनाओं का भय भी बना रहता है।
टूटी चारदीवारी
इस कन्या पाठशाला की चारदीवारी जगह-जगह से टूटी पड़ी है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा की चिंता भी स्कूल स्टाफ को लगी रहती है। गांव के सरपंच राजेश कुमार का कहना है कि वह स्कूल की मरम्मत व नयी चारदीवारी के निर्माण के लिए प्रांगण में मिट्टी डलवाने के बारे में बार-बार पंचायत विभाग व शिक्षा विभग से अनुरोध कर चुके हैं। यहां तक कि गत वर्ष अप्रैल में मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम में भी उन्होंने गांव में स्कूल की दशा सुधारने का अनुरोध किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा ठोस आश्वासन देने के बावजूद कुछ नहीं हुआ। वहीं, उच्च विद्यालय की बात करें तो प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ा पड़ा है। स्कूल भवन की मरम्मत व पार्क के निर्माण के लिए गत वर्ष 23 मार्च को तत्कालीन कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने गांव के सरपंच के अनुरोध पर 50 लाख रुपये का एस्टीमेट भेजने के निर्देश दिए थे। एस्टीमेट भेजे जाने को लगभग दो वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, परन्तु कोई बजट या स्वीकृति नहीं मिली।
शिक्षा के लिए दान की थी 131 एकड़ जमीन
गांव प्रेमनगर के सरपंच राजेश बूरा ने कहा कि चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के लिए नि:शुल्क 131 एकड़ भूमि दान करने के बाद भी गांव के स्कूल को सीनियर सैकेंडरी स्कूल का दर्जा न मिलने के कारण ग्रामीणों में रोष है। उन्होंने कहा कि गांव के सरकारी स्कूलों में सुविधाओं व मरम्मत को लेकर वह कई बार पंचायत विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिल चुके हैं। सभी प्रकार के एस्टीमेट भी भेजे जा चुके हैं। गांव के हाई स्कूल को अपग्रेड करने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी, परन्तु अभी तक न कोई बजट आया और न स्कूल अपग्रेड हुआ।