सोनीपत चीनी मिल प्रशासन का आदेश...20 फरवरी के बाद जमा नही होगी गन्ने की पुरानी पर्चियां
05:45 AM Feb 17, 2025 IST
चंडीगढ़, 28 नवंबर (ट्रिन्यू) हरियाणा एमएसपी पर 14 फसलों की खरीद करने वाला देश का पहला राज्य है। गन्ना किसानों के लिए गन्ने के प्रति क्विंटल दाम 372 रुपये से बढ़ाकर 386 रुपये किए हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं। मनोहर सरकार ने गन्ना किसानों की भविष्य की भी सुध लेते हुए आगामी वर्ष के लिए भी दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल देने की घोषणा की है। इससे किसानों का न सिर्फ गन्ने की खेती की ओर रुझान बढ़ेगा, बल्कि उन्हें आर्थिक मजबूती भी मिलेगी। सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि सरकार ने किसानों को अन्य कई योजनाओं का अभूतपूर्व लाभ दिया है। इस कड़ी में मेरी फसल-मेराब्योरा पोर्टल के तहत पिछले 7 सीजन में 12 लाख किसानों के खातों में 85,000 करोड़ रुपये डाले गए हैं। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 29.45 लाख किसानों की बल्ले-बल्ले कर दी है। उनको 7656 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम किया है। इससे किसानों को फसल के बर्बाद होने से दिक्कत नहीं रही है। किसानों को फसल बेचने में असुविधा न हो। प्रदेश सरकार गन्नौर, सोनीपत में 7,000 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉर्टिकल्चर मार्केट का निर्माण करा रही है। मार्केट चालू होने के बाद किसानों को फसल बेचने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। इसी तरह से प्रदेश सरकार पिंजौर में 150 करोड़ रुपये की लागत से सेब, फल और सब्जी मंडी का निर्माण करा रही है। मनोहर सरकार ने नई व अतिरिक्त मंडियों के विकास पर 1074 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। किसानों का रुझान धान की खेती की बजाय अन्य वैकल्पिक खेती की ओर किया है। 1,74,464 एकड़ धान की खेती की जगह वैकल्पिक फसलों की खेती कराई गई। इसी के तहत प्रदेश सरकार ने 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 118 करोड़ रुपये की किसानों को सहायता दी है। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरा उत्पादन करने वाले किसानों के खाते में 836 करोड़ रुपये डाले। उनका कहना है कि मनोहर लाल की सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने किसानों को अनुदान देकर उनका रुख प्राकृतिक खेती की ओर भी मोड़ा है। प्राकृतिक खेती योजना के तहत 11,043 किसानों को पंजीकृत किया। सरकार ने अटल किसान मजदूर कैंटीन योजना के माध्यम से 10 रुपये प्रति थाली भोजन उपलब्ध करवाने के लिए 25 मंडियों में कैंटीन शुरू की है। पराली प्रबंधन पर प्रति एकड़ 1000 रुपये अनुदान किसान पराली को खेतों में जला देते थे, जिससे वायु प्रदूषण हो जाता है। इस वजह से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका बनी रहती थी। मनोहर लाल की सरकार ने पराली प्रबंधन पर असरदार योजना बनाई है। इसके तहत फसल अवशेष प्रबंधन पर होने वाली खर्च की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ की दर से किसान को 1000 रुपये अनुदान दिया जाता है। इसका असर ये रहा कि 2022 की तुलना में इस साल खेतों में कम पराली जली और किसानों को भी आर्थिक लाभ हुआ।
सोनीपत सहकारी चीनी मिल प्रशासन ने नया आदेश जारी किया है कि अगर किसानों के पास गन्ने की कोई पुरानी पर्ची मौजूद है और अभी तक उसे जमा नही करवाया है तो जल्दी जमा करा दें। मिल प्रशासन ने 20 फरवरी के बाद पुरानी पर्ची न लेने का फैसला किया है, ताकि गन्ने की वास्तविक उपलब्धता का पता लगाया जा सके। इस संबंध में किसानों को सोनीपत सहकारी चीनी मिल एप के माध्यम से भी जानकारी उपलब्ध करवा दी गई है।
बता दें कि सोनीपत चीनी मिल ने अपने किसानों का करीब 3 लाख क्विंटल गन्ना गोहाना सहकारी चीनी मिल में ट्रांसफर किया है। गोहाना मिल की तरफ से भी किसानों को पर्चियां जारी की जा रही है। गोहाना मिल में गन्ना डालकर आना है या नही आना है, यह किसान पर निर्भर है। ऐसे में अगर कोई किसान गोहाना चीनी मिल में गन्ना डालने नहीं जाता है तो उसे जल्द से जल्द अपनी पर्ची जमा करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
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अब 16.30 लाख क्विंटल गन्ने की हो चुकी है पिराई
22 हजार क्विंटल प्रतिदिन पिराई की क्षमता वाली सोनीपत चीनी मिल में तेजी से कार्य जारी है। मौजूदा पिराई सत्र में अब तक 16.30 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई का काम पूरा किया जा चुका है। पिछले 24 घंटे में मिल में करीब 19.9 हजार क्विंटल गन्ने की पिराई की गई है।
वर्जन
सोनीपत चीनी मिल में तेजी से गन्ने की पिराई जारी है। 20 फरवरी के बाद पुरानी पर्चियों को न लेने का फैसला किया गया है। किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। समय पर गन्ने की पिराई का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। - डीएस पहल, चीफ इंजीनियर, सोनीपत चीनी मिल