सेहत को संवारें गहरी नींद से
तन-मन सेहतमंद रखने के लिए पर्याप्त नींद लेना बेहद महत्वपूर्ण है। अध्ययन सबूत हैं कि पूरी नींद लेने वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में अधिक शांत, सौम्य व संयमित थे। गहरी नींद से इम्यूनिटी बढ़ती है। खास बात कि नींद-चक्र बिगाड़ने में बदली जीवनशैली की बड़ी भूमिका है।
दीपिका अरोड़ा
सूरज डूबते ही नींद से बोझिल होने वाली पलकें बदले परिवेश में रात भर जगने की अभ्यस्त होती जा रही हैं। कहीं कार्य का अतिरिक्त बोझ, तो कहीं देर रात तक सोशल मीडिया खंगालने अथवा दोस्तों से चैटिंग करने की लत। विवेकपूर्वक विचारें तो पर्याप्त नींद लेना शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भरपूर निद्रा न केवल हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है, अपितु मस्तिष्क को भी स्वस्थ तथा सक्रिय बनाए रखने में मददग़ार सिद्ध होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, रातभर में 7 से 9 घंटे की नियमित नींद लेना अनिवार्य है।
बाल व्यवहार पर असर
इस बारे में बच्चों पर किया गया एक अध्ययन बताता है कि अच्छी नींद बच्चों में भावनात्मक तथा व्यावहारिक नियंत्रण का परस्पर तालमेल बढ़ाने में सहायक बनती है। अन्य बच्चों की तुलना में वे मानसिक रूप से अधिक सुदृढ़ होने के साथ तनावमुक्त भी रहते हैं। अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 6 वर्ष के 143 बच्चों की नींद व व्यवहार पर आधारित आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन के दौरान पाया गया कि पूरी नींद लेने वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में व्यक्तिगत व्यवहार व भावनाओं को लेकर अधिक शांत, सौम्य व संयमित थे। कम नींद लेने वाले अथवा सोते समय बार-बार जगने वाले बच्चों के आचरण में आवेग व निराशा समाविष्ट होने के साथ, व्यवहार तथा भावनाओं पर भी कम नियंत्रण देखने में आया। जर्नल ‘पीडियाट्रिक्स’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सही पैरेंटिंग निर्देशों ने बच्चों के जन्मोपरान्त, उनके सोने की दिनचर्या तथा नींद के व्यवहार को विकसित करने में मदद की। अध्ययन के दौरान सामने आया कि बच्चों के बड़े होने पर भी इन चीज़ों का सकारात्मक प्रभाव उनकी जीवनशैली पर पड़ता है, जो कि दीर्घकाल तक बना रहता है।
नींद चक्र बिगड़ने के कारक
परिवर्तित जीवनशैली के दृष्टिगत बढ़ती आयु अथवा अस्वस्थता के अलावा भी देखें तो अधिकतर मामलों में नींद चक्र लगातार घटता नज़र आएगा। इसके अनेक कारण हैं, जिनमें प्रमुख है इलेक्ट्रॉनिक गैज़ेट्स का लिमिट से ज्यादा प्रयोग। फ़ोन में लोग घंटों नज़रें गड़ाए रखते हैं। दूसरा बड़ा कारण है, तनाव बढ़ना। कार्य व व्यक्तिगत जीवन संतुलित बनाए रखने के प्रयास में आज लोग कम उम्र में ही तनाव का शिकार हो रहे हैं। तीसरा है, खानपान संबंधी गलत आदतें, जो निद्रा चक्र बाधित करती हैं।
मानसिक सेहत पर प्रभाव
अपर्याप्त निद्रा अथवा आवश्यकता से अधिक सोना, दोनों ही स्थितियां हानिकारक हैं। अतिनिद्रा प्रमाद की जन्मदात्री है तो नींद की कमी हमारी कार्यक्षमता कम कर डालती है। नींद की कमी तनाव व अवसाद में बढ़ोतरी कर सकती है। शरीर के साथ मस्तिष्क को भी चार्ज होने के लिए पर्याप्त नींद चाहिए, इसके अभाव में याद्दाश्त कम होने लगती है। उनींदापन निर्णय-क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करता है। तन-मन पर हावी थकान से आत्मविश्वास डगमगाने लगता है, भ्रम पैदा होने लगता है। नेशनल स्लीप फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, प्रतिदिन 6 घंटे या उससे कम सोने पर वाहन दुर्घटना होने की संभावना तीन गुणा बढ़ सकती है।
इम्यूनिटी में शिथिलता
नींद की कमी का सर्वाधिक प्रभाव हमारे रक्त-बहाव पर पड़ता है, जोकि हाई बीपी, मधुमेह, हृदयाघात, स्ट्रोक जैसे रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है। नींद की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली शिथिल पड़ने लगती है। असंतुलित भूख, पाचन विकार, मोटापा आदि के चलते बार-बार बीमार होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। भरपूर नींद न मिलने का स्किन हेल्थ पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। आंखों के नीचे काले घेरे नजर आते हैं।
सोने के पूर्व रखें ध्यान
भरपूर नींद के महत्व को भांपते हुए इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। रात्रिकाल में गरिष्ठ भोजन से परहेज़ रखना ही समझदारी है, पानी या अन्य तरल पदार्थ लेने से भी यथासंभव बचा जाए। प्रतिदिन सुबह या शाम व्यायाम आदि के माध्यम से शारीरिक सक्रियता बनाए रखना गहरी नींद लाने में मदद करेगा। शराब, स्मोकिंग व कैफीन नींद के सबसे बड़े शत्रु माने गए हैं। अंधकारयुक्त, शांत वातावरण नींद को मज़बूती प्रदान करता है। शयनकक्ष में जाने से एक घंटा पूर्व स्क्रीन का उपयोग बंद कर दिया जाए। संगीत सुनना या गर्म पानी से स्नान करना भी एक उपाय है। बादाम, कैमोमाइल चाय, कीवी, अखरोट जैसे खाद्य पदार्थों का प्रयोग नींद की गुणवत्ता सुधार सकता है। प्रतिदिन 7-8 घंटे की गहरी नींद लेने का मतलब है, एक खुशहाल व रोगमुक्त जीवन जीना।