सुलझी राह
आस्ट्रिया के महान मनोवैज्ञानिक डॉ. सिगमंड फ्रायड अपने घर पर बने बगीचे में टहल रहे थे। तब उनका एक परिचित उनसे मिलने आया, जो अत्यंत विचलित लग रहा था। सिगमंड फ्रायड ने उनके हाव-भाव देखकर आने का कारण पूछा। उसने बताया कि वह जितने भी काम करता है वे सभी उलझ कर रह जाते हैं, कोई भी कार्य पूरा नहीं होता तो वह क्या करे? सिगमंड फ्रायड उन्हें अपने साथ घर के अंदर ले गए, जहां उनकी पत्नी कपड़ों पर प्रेस कर रही थी। उन्होंने वह दृश्य समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार ये एक-एक कपड़े को उठाकर प्रेस से उनकी सलवटों को सुलझा रही हैं और कपड़े सुंदर व पहनने लायक हो रहे हैं उसी प्रकार तुम्हें भी कार्य को एक-एक करके पूरा करना चाहिए ताकि एक समय में एक ही कार्य पर ध्यान लग सके और तुम्हारे कार्य पूर्ण हो सकें। सिगमंड फ्रायड की प्रेरणा से वह परिचित व्यक्ति खुशी-खुशी वहां से अपने घर लौट गया।
प्रस्तुति : संदीप भारद्वाज