सुरा-सुंदरी और फूलों की महक से गुलज़ार एम्स्टर्डम
एम्स्टर्डम न केवल अपनी खूबसूरत नहरों और ऐतिहासिक पुलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह अपनी अनोखी संस्कृति और जीवनशैली के लिए भी जाना जाता है। यहां की रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट, साइकिल संस्कृति और 'ब्राउन कैफे' जैसी परंपराएं शहर को एक अलग ही पहचान देती हैं। एम्स्टर्डम के हर कोने में कुछ न कुछ नया और रोचक देखने को मिलता है।
अमिताभ स.
यूं तो, यूरोप का हर देश एक से एक खूबसूरत है, लेकिन नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम के क्या ही कहने! एम्स्टर्डम छोटा-सा है, इसलिए पैदल चलते-चलते ही आर्च शेप पुलों को पार करते-करते सारा शहर मजे-मजे में घूम सकते हैं। रेड लाइट डिस्ट्रिक तो सिटी का सबसे पुराना हिस्सा है- सन् 1385 से बना है। आधा वर्ग किलोमीटर में फैले रेड लाइट डिस्ट्रिक में, यूरोप ही नहीं, अफ्रीका और एशिया की सुन्दरियां कारोबार से जुड़ी हैं। यहां कहीं-कहीं फोटो खींचने की सख़्त मनाही है। सो, शंका हो, तो पूछ लेना बेहतर है, वरना मोबाइल और कैमरा छीना जा सकता है।
एम्स्टर्डन नहरों का शहर भी है। करीब 160 नहरें शहर में फैली हैं और 1250 पुलों से आर-पार आते-जाते हैं। इसीलिए यह ‘वीनस ऑफ नॉर्थ’ भी कहलाता है। नहरों में बोटिंग के जरिए भी एम्स्टर्डम घूम सकते हैं। एक से एक बोट टूर मिलते हैं। बाग-बगीचों में सबसे नामी वोनर्डल पार्क है। है सन् 1865 से और अगर शहरी दुनिया से दूर एकांत और सुकून में कुछ घंटे गुजारना चाहें, तो उत्तम जगह है।
एम्स्टर्डम को कोना-कोना ट्राम से जुड़ा है। बस सर्विस भी उम्दा है, लेकिन साइकिल पर एम्स्टर्डम घूमना सबसे बढ़िया रहता है। आमतौर पर, एम्स्टर्डम में 70 फीसदी लोग साइकिल के जरिए ही आते-जाते हैं। यानी साइकिलों पर इधर-उधर जाने-आने का बड़ा चलन है। सड़क के साथ-साथ बाकायदा साइकिल ट्रेक हैं। ज्यादातर सड़कें चौड़ी नहीं हैं, फिर भी, ट्रैफ़िक कम ही होता है। लोगबाग कारों से ज्यादा साइकिल चलाना ज्यादा आरामदेह मानते हैं। घूमने-फिरने के लिए किराए पर साइकिलें मिलती हैं। आज तक घोड़ा बग्घी भी सवारी के लिए इस्तेमाल की जाती है।
कार नहीं, तो मनचाहा मकान बनाइए
हर तरफ रौनकें ही रौनकें हैं। अन्य यूरोपीय देशों की तरह यहां भी लोग ईमानदार हैं और नीयत साफ है। कहने और करने में ज़रा फर्क नहीं है। सरकार और जनता में आपसी विश्वास है। आजकल दिल्ली में मकानों के नक्शे पास करवाने के लिए पार्किंग लाजिमी है। लेकिन एम्स्टर्डम में ऐसा नहीं है। वहां दिल्ली से उलट अगर घर में पार्किंग का इंतजाम नहीं करेंगे, तो नक्शा पास करवाने की जरूरत ही नहीं है। क्योंकि आप देश और समाज के हित में सोचते हैं। आप का कार ख़रीदने, रखने और चलाने की योजना ही नहीं है। ज़ाहिर है कि आप कार नहीं रखेंगे, तो एक तो सड़क पर ट्रैफिक बढ़ेगा नहीं और साथ-साथ आबोहवा साफ रहेगी। ऐसा मुमकिन नहीं कि आप घर में पार्किंग न बनवाएं और कार खरीद लें। या कहें, तय है कि घर में पार्किंग न बनाने वाले उम्रभर साइकिल का इस्तेमाल ही करेंगे।
डेम स्क्वेयर और ब्राउन कैफे शॉपिंग का जलवा कम कहां है। दो प्रमुख शॉपिंग स्ट्रीट्स हैं- लेइडस्ट्रे और केइजीस्ट्रे। मॉल में शापिंग का मज़ा लेना चाहें, तो स्वयूस्ट्रे नाम की सड़क पर ‘मेगना प्लाजा’ है। उधर एल्बर्ट सूयूप नम्बर वन स्ट्रीट मार्केट है। खरीदारी से पहले बराबर भाव- तौल कर सकते हैं। है ‘हेनिकेन’ बीयर फैक्टरी के पीछे। वर्ल्ड फेमस बीयर ब्रैंड ‘हेनिकेन’ ठेठ नीदरलैंड का लोकप्रिय ब्रांड है। एम्स्टर्डम में ‘हेनिकेन’ बीयर फैक्टरी में जाना और घंटों बीयर बनते-पैक होते देखना पर्यटक ख़ुशी से देखना पसंद करते हैं। एम्स्टर्डम में बीयर के अलावा ‘जिन’ पीने का भी खासा चलन है। बताते हैं कि ‘जिन’ सबसे पहले सन् 1650 में नीदरलैंड में ही बनना शुरू हुई। नीदरलैंड वालों के लिए सर्दियों में ठिठुरन बढ़ती है, ठंडी हवाएं बहती हैं, तो ‘जिन’ पीने के दिन आते हैं।
ज्यादातर पर्यटक स्क्वेयर और रेड लाइट डिस्ट्रिक ही घूमते हैं। हैं भी मोस्ट हैप्पनिंग एरिया। जबकि जोरडन, डी पीप, न्यू मार्केट और नाइन स्ट्रीट भी खासमखास हैं। न्यू मार्केट के पीछे है एम्स्टर्डम का चाइना टाउन। नाइन स्ट्रीट में सेंकड हैंड सामान की दुकानें हैं। रोज सुबह 11 और दोपहर बाद 3 बजे डेम स्क्वेयर में फ्री वॉकिंग टूर ऑपरेट होता है। इसमें शामिल हो कर, एम्स्टर्डम की बारीकियों और चप्पे-चप्पे से वाक़िफ़ होने का बखूब मौका मिलता है।
एम्स्टर्डम के आसपास भी घूमने और देखने लायक़ कई आकर्षण हैं। नजदीक ही 80 एकड़ पर फैले फूलों ही फूलों के खेत ‘कोकेनहुफ गार्डन्स’ की ख़ूबसूरती वाकई बेमिसाल है। जहां-जहां तक निगाहें जाएं, बस फूलों की कतारें ही कतारें हैं। लाखों ट्यूलिप्स, ड्रेफोडिल्स और न जाने कैसी-कैसी रंगत के फूल। वर्ष 1980 के दशक में राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ का गीत ‘भंवरे ने खिलाया फूल...’ यहीं फिल्माया गया। फिर यश चोपड़ा की ‘सिलसिला’ में भी कोकेनहुफ गार्डन्स छाए रहे।
और नजदीकी आकर्षण में ‘मधुरोडेम-मिनीएचर नीदरलैंड’ शुमार है। सन् 1952 में बसा पूरा शहर ही आदम कद से काफी छोटे आकार का है। एकदम छोटी-छोटी ट्रेन, एयरपोर्ट, समुद्र, नदियां, पुल, चर्च, स्टेडियम, शॉपिंग सेंटर और न जाने क्या-क्या में घूमना-फिरना बच्चों और बड़ों को सपना लगता है। पूरे शहर को अपने पैरों से लांघ सकते हैं। मानो लिलिपुट के कथालोक में पहुंच गए हैं। एम्स्टर्डम और मधुरोडेम के रास्ते में पर्यटक रोटरमैन शू फैक्टरी में घूमना पसंद करते हैं। यहां लकड़ी के एक से एक जूते बनते हैं।