For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट जांच समिति ने की सिफारिश

05:00 AM Jun 20, 2025 IST
सुप्रीम कोर्ट जांच समिति ने की सिफारिश
Advertisement

उज्ज्वल जलाली/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 19 जून
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की सिफारिश की है। समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास के स्टोर रूम से नोटों के बंडल बरामद किए गए थे और बाद में संदिग्ध परिस्थितियों में उन्हें हटा दिया गया था।
ट्रिब्यून को प्राप्त जांच रिपोर्ट में कहा गया है, ‘...समिति का दृढ़ मत है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के 22 मार्च के पत्र में लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। साबित हुआ कदाचार इतना गंभीर है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।’ इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट पैनल ने 4 मई को तत्कालीन सीजेआई को अपने निष्कर्ष सौंपे थे।
यह विवाद 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के तुगलक रोड स्थित बंगले में आग लगने से शुरू हुआ, जिसके बाद दो दमकल गाड़ियों को भेजा गया। दमकलकर्मियों ने आग पर तुरंत काबू पा लिया, लेकिन इससे पहले उन्हें एक स्टोररूम में स्टेशनरी और घरेलू सामान के बीच जले हुए नोट मिले। इसके बाद देश में आक्रोश फैला और मामले की न्यायिक जांच की गई।
तीन सदस्यीय समिति जिसमें चीफ जस्टिस शील नागू (पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट), चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट) और जस्टिस अनु शिवरामन (कर्नाटक हाईकोर्ट) शामिल थे, ने पाया कि कथित तौर पर 1.5 फुट ऊंचे ढेर की नकदी स्टोर रूम में रखी गयी थी। कमरे तक पहुंच केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के पास थी।

Advertisement

55 गवाहों के बयान दर्ज
25 मार्च से 27 अप्रैल के बीच समिति ने जस्टिस वर्मा सहित 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा की भूमिका पर विशेष संदेह जताया गया। कार्की ने कथित तौर पर अग्निशमन कर्मियों को नकदी का उल्लेख न करने का निर्देश दिया। समिति ने जस्टिस वर्मा द्वारा आग लगने के छह दिन बाद ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण को तुरंत और बिना किसी सवाल के स्वीकार करने पर भी ध्यान दिया।

Advertisement
Advertisement
Advertisement