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सीएलपी का नहीं हुआ फैसला, एससी और नॉन-एससी के चलते फंसा पेच

04:16 AM Jan 03, 2025 IST
हरियाणा कांग्रेस में सीएलपी को लेकर चल रहा घमासान।

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 जनवरी
हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) नेता को लेकर बड़ा ही पेच फंसा हुआ है। विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए करीब तीन महीने होने को हैं, लेकिन कांग्रेस अभी तक सीएलपी लीडर का निर्णय नहीं कर पाई है। गुटबाजी और आपसी खींचतान की वजह से फैसले में देरी हो रही है। देरी के पीछे दूसरा कारण जातिगत समीकरण भी हैं। प्रदेश कांग्रेस की कमान एससी चेहरे के रूप में चौ़ उदयभान के हाथों में है।

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कांग्रेस में दिल्ली के स्तर पर किसी एससी को सीएलपी लीडर बनाए जाने पर भी मंथन चल रहा है। अगर ऐसा होता है तो फिर प्रदेशाध्यक्ष नॉन-एसी बनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एससी (अनुसूचित जाति) और नॉन-एससी के फेर में ही पार्टी विधायक दल का नेता नहीं चुना जा रहा है। वहीं चुनावी नतीजों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भी चुनौतियां बढ़ गई हैं। इस बार चुनावों में अधिकांश हलकों में हुड्डा की पसंद से ही टिकट दिए गए।

चुनावी नतीजे इसके बाद भी कांग्रेस के फेवर में नहीं आए। कांग्रेस के लिए प्रदेश में पॉजिटिव माहौल होने और भाजपा के खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी के बावजूद कांग्रेस महज 37 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। वहीं भाजपा 48 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत से लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। कांग्रेस को इस तरह के नतीजों की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। माना जा रहा है कि उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं आने की वजह से ही सीएलपी लीडर को लेकर बड़ा पेच फंसा है।

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एंटी-हुड्डा खेमा अब दिल्ली दरबार में हुड्डा कैम्प को पूरी तरह से ‘फ्री-हैंड’ देने के पक्ष में नहीं है। एंटी-हुड्डा कैम्प की ओर से नतीजों के बाद से ही दबाव बनाया जा रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम व पंचकूला विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम भी इस खेमे की ओर से विधायक दल के नेता के लिए आगे किया जा चुका है। हालांकि अभी तक नेतृत्व इसी दुविधा में है कि सीएलपी लीडर किसी जाट चेहरे को बनाया जाए या फिर किसी गैर-जाट पर दांव खेला जाए। हालांकि लगातार तीन बार मिली हार के बाद प्रदेश में गैर-जाट नेतृत्व उभारने की बात भी केंद्रीय स्तर पर चल पड़ी है। इसी वजह से थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा तथा झज्जर विधायक गीता भुक्कल का नाम विधायक दल के नेता के लिए चर्चाओं में है। गीता भुक्कल एससी से आती हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान भी एससी हैं। ऐसे में इन दोनों ही प्रमुख पदों पर एससी नेताओं की नियुक्ति संभव नहीं है। अगर किसी एससी को सीएलपी बनाया जाता है तो उस सूरत में प्रदेशाध्यक्ष पद पर बदलाव तय है।

दिल्ली से जुड़े कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व के स्तर पर दोनों ही पदों को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। इसी वजह से सीएलपी लीडर का फैसला भी नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस विधायक दल के नेता के लिए जाट नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का ही नाम सबसे ऊपर है। वे 2019 से 2024 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं।

इस तरह का भी मंथन

कांग्रेस हाईकमान में इस बात को लेकर भी मंथन चल रहा है कि इस बार एससी चेहरे को सीएलपी लीडर बनाया जाए। ऐसी स्थिति में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर किसी अन्य कैटेगरी के नेता का नंबर लग सकता है। हरियाणा में पिछले करीब 17 वर्षों से प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी एससी नेता के पास ही है। 27 जुलाई, 2007 को फूलचंद मुलाना को एससी कोटे से प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद 14 फरवरी, 2014 को डॉ़ अशोक तंवर कांग्रेस प्रधान बने। तंवर के बाद 4 सितंबर, 2019 को पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को हरियाणा में कांग्रेस की कमान सौंपी गई। इसके बाद 27 अप्रैल, 2022 से चौ. उदयभान कांग्रेस के प्रधान बने हुए हैं।

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