सिल्वर जुबली वर्ष : 25 साल से अमिताभ ‘केबीसी’ में ही लॉक
अमिताभ बच्चन की तरह बड़े परदे पर न तो दूसरा एंग्री यंगमैन हुआ और न छोटे पर्दे पर उन जैसा दूसरा सफल गेम शो होस्ट होगा। दोनों भूमिकाएं अलग हैं, पर इस शख्स ने दोनों में महारत हासिल की। साल 2000 में शुरू हुए टीवी गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ने 25 साल पूरे कर लिए। किसी गेम शो ने छोटे परदे पर ऐसा कमाल नहीं किया। केबीसी का फॉर्मेट अनोखा है, इसलिए दर्शकों को पसंद आना ही था, पर एंकर अमिताभ बच्चन भी बेजोड़ हैं। उन्होंने इस शो को ऊंचाई दी और शो ने उन्हें समृद्धि। 25 साल पहले जब वे इस शो से जुड़े थे, उनके सितारे गर्दिश में थे। उन्हें इंडस्ट्री में दोबारा स्थापित करने में ‘केबीसी’ का अहम रोल रहा।
हेमंत पाल
टीवी पर आने वाले किसी भी शो को दर्शक तभी तक याद रखते हैं, जब तक वो प्रसारित होता है। लेकिन, कौन बनेगा करोड़पति यानी ‘केबीसी’ इसका अपवाद है। साल में करीब दो-ढाई महीने आने वाले इस शो का इसके चाहने वाले बाकी दस महीने इंतजार करते हैं। यह सिलसिला 25 साल से चल रहा है और साल-दर-साल इसका जादू दर्शकों पर बढ़ने लगा। ये शो के फॉर्मेट का तो प्रभाव है ही, लेकिन सबसे ज्यादा आकर्षण इसके एंकर अमिताभ बच्चन का है। किसी गेम शो का लगातार 25 साल प्रसारित होना और उसमें 24 साल एक ही एंकर का होना अपने आप में रिकॉर्ड है। इस शो को एक साल शाहरुख़ खान ने भी होस्ट किया, लेकिन अमिताभ जैसा प्रभाव वे भी छोड़ सके। अमिताभ हॉट सीट पर बैठने वाले कंटेस्टेंट से 16 सवाल पूछते हैं और हर सवाल के सही जवाब पर कंटेस्टेंट को पैसे मिलते जाते हैं। शुरू में सबसे बड़ी राशि एक करोड़ रुपए थी, धीरे-धीरे यह 5 करोड़ हुई और अब 7 करोड़ है।
इस शो ने अमिताभ के स्टारडम को नया आयाम दिया। लेकिन, शो से पहले बच्चन फैमिली ने उन्हें छोटे परदे पर यह शो करने से रोका था कि फिल्म के दर्शक आपको छोटी टीवी स्क्रीन पर देखेंगे, तो आपका कद कम हो जाएगा। लेकिन, बीते 25 सालों ने इस बात को गलत साबित कर दिया। बीते सालों में समय के मुताबिक शो के फॉर्मेट में कुछ बदलाव किए गए, सवाल-जवाब के फॉर्मेट को छोड़कर। टीआरपी और मनोरंजन का ख्याल रखते हुए नए एंगल्स इंट्रोड्यूस किये। लेकिन, आज भी इस गेम शो का पहला फोकस सवाल-जवाब ही होता है। लाइफ-लाइन में जरूर कुछ घट-बढ़ होती रही।
कंटेस्टेंट को अपनापन देना ही कमाल
अमिताभ अपने जीवन और फिल्मों से जुड़े पुराने किस्से, अपने दिल की बातें लोगों से कहते हैं। इसके साथ ही कंटेस्टेंट्स की इमोशनल लाइफ को सबसे ज्यादा हाइलाइट किया जाता है। उसके जीवन के अभावों और इच्छाओं को सामने लाकर कंटेस्टेंट की प्रतिभा को आगे लाया जाता है। जब सेलिब्रिटी गेस्ट शो में आते हैं, तब भी गंभीरता को बरक़रार रखा जाता है। आज अमिताभ बच्चन ‘केबीसी’ की कामयाबी की सिल्वर जुबली मना रहे हैं। लेकिन, शो की ऊर्जा बरक़रार है। हॉट सीट तक आने वाले अपने बड़े-बड़े सपने लेकर पहुंचते हैं और ज्यादातर कुछ न कुछ लेकर ही जाते हैं। लेकिन, कंटेस्टेंट के लिए सबसे कीमती होता है अमिताभ जैसी हस्ती से मिलना, बात करना।
एक लाइफ लाइन अमिताभ को भी मिली
यह शो उस दौर में शुरू हुआ था, जब अमिताभ को भी एक लाइफ लाइन की जरूरत थी। फ़िल्में लगातार पिट रही थी। उनकी कंपनी ‘एबीसीएल’ बेहद घाटे में थी। लेकिन, इस शो की बदौलत सब कुछ संभल गया। आज अमिताभ 82 पार कर चुके। लेकिन, उम्र के इस दौर में भी हॉट सीट पर बैठे कंटेस्टेंट से बात करने का उनका अंदाज अनोखा है। हर कंटेस्टेंट का मनोबल बढ़ाना, अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता और उनसे जुड़े किस्से सुनाने और मजाक करने का उनका अलग ही अंदाज है। फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट के बाद जब कंटेस्टेंट हॉट सीट पर पहुंचता है, तो अमिताभ के सामने आकर कई कंटेस्टेंट घबरा से जाते हैं। लेकिन, बतौर एंकर अमिताभ सहजता से सबसे तालमेल बैठाकर शो को मनोरंजक बना देते हैं।
सपनों के सच होने के किस्से
आज ढाई दशक बाद भी हॉट सीट तक पहुंचने वाले कंटेस्टेंट की बातें आश्चर्यजनक होती हैं। कोई बीस साल से यहां आने का इंतजार कर रहा होता है, कोई कहता है जब यह शो शुरू हुआ तब वे पैदा ही हुए थे। लेकिन, अमिताभ हॉट सीट पर बैठने वालों में जोश भरने का कोई मौका नहीं चूकते। जब वे फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट के लिए सवाल पूछते हैं, तब उनका जोश देखने लायक होता है। 82 पार होने के बावजूद दौड़ते हुए आते हैं और कंटेस्टेंट को हॉट सीट पर बैठाते हैं, सहज करते हैं। फिर सवाल शुरू करते हैं।
किरदार को ‘लार्जर देन लाइफ’ बनाया
फिल्मों में अमिताभ बच्चन अपने किरदार को ‘लार्जर देन लाइफ’ बनाने के लिए विख्यात रहे हैं। दमदार आवाज में प्रभावशाली संवाद अदायगी से दर्शकों के दिलो दिमाग को झकझोर देना उनके अभिनय कौशल की खासियत है। ‘केबीसी’ के मंच पर भी अमिताभ अपनी पर्सनालिटी से पूरा रंग जमा देते हैं। ‘केबीसी’ ने कई की जिंदगी में रंग भरे। किसी की झोपड़ी महल बन गई, कोई गंभीर बीमारी का इलाज करा सका तो किसी की बेटी की शादी हुई। खासियत यह भी कि हॉट सीट पर बैठने वाला अपनी हैसियत नहीं छुपाता।
बिना स्क्रिप्ट के शुरू हुआ था ‘केबीसी’
बताते हैं कि जब इस शो का फॉर्मेट बनाया गया था, तब ‘केबीसी’ के प्रेजेंटेशन के लिए कोई स्क्रिप्ट तय नहीं की गई थी। बतौर एंकर अमिताभ बच्चन कंटेस्टेंट से क्या और कैसी बात करेंगे, इस बारे में कोई तैयारी नहीं थी। सिर्फ सवालों का फॉर्मेट तय हुआ था। हर एपिसोड को शुरू करने और आगे बढ़ाने की कला अमिताभ ने खुद विकसित की। उन्होंने शो की एक नई भाषा विकसित की। कंप्यूटर महाशय, कंप्यूटर जी, लॉक कर दिया जाए या ‘देवी जी’ जैसे शब्दों के प्रयोग उन्होंने ही किए।
कई गेम शो शुरू होकर बंद हुए
25 साल पहले जब टीवी पर पहली बार ‘कौन बनेगा करोड़पति’ गेम शो शुरू हुआ था, उसके बाद अमिताभ के इस शो को टक्कर देने के लिए कई गेम शो छोटे परदे पर प्रसारित किए गए। मसलन, अनुपम खेर और मनीषा कोईराला का गेम शो ‘सवाल दस करोड़ का’ व सलमान खान का ‘दस का दम’, लेकिन केबीसी जैसे चले नहीं। दरअसल, ये शो जैसे अमिताभ की पर्सनालिटी के साथ चस्पा हो गया है। धीरे-धीरे केबीसी सिल्वर जुबली साल में प्रवेश कर गया।