मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सामंजस्य में जीवन की सार्थकता

11:35 AM May 22, 2023 IST

एक व्यक्ति महात्मा के पास आया और उसे अपना शिष्य बनाने की इच्छा व्यक्त की। महात्मा ने उसे एक गाय दी और कहा, ‘वत्स, इसकी सेवा करो और दूध का सेवन करो।’ इसके साथ ही उसे गायत्री मंत्र सिखाकर जाप करने के लिए भी कहा। एक दिन वह महात्माजी से बोला, ‘गुरुदेव, आपकी कृपा से बहुत आनंद है।’ यह सुनकर महात्मा बोले, ‘ठीक है।’ संयोग से एक दिन गाय गुम हो गई। घबराकर उस व्यक्ति ने महात्मा से अपनी व्यथा सुनाई। यह सुनकर महात्मा बोले, ‘यह भी ठीक है।’ कुछ दिनों बाद वह गाय मिल गई। फिर दूध मिलने लगा और जाप करने में आनंद आने लगा। महात्मा के पास जाकर उसने स्थिति का वर्णन किया। महात्मा ने कहा, ‘यह भी ठीक है। शिष्य ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, ‘गुरुदेव, यह क्या बात है? जब गाय थी तो आपने कहा ठीक है, जब गाय गुम हो गई, तब भी कहा ठीक है और अब गाय दोबारा मिल गई, तब भी कहा ठीक है। महात्मा ने कहा, ‘जीवन बिताने का यही सर्वोत्तम ढंग है। जैसी परिस्थिति हो, उसे ठीक समझ और उसके अनुकूल अपने आपको ढाल लो, इसी में जीवन की सार्थकता है।’ प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

Advertisement

Advertisement