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‘सर छोटूराम ने शोषण करने वालों को उखाड़ फेंका’

09:46 AM Nov 21, 2024 IST
‘सर छोटूराम ने शोषण करने वालों को उखाड़ फेंका’
मुरथल स्थित डीसीआरयूएसटी में स्मारक व्याख्यान व सांस्कृतिक उत्सव का शुभारंभ करते हरियाणा खेल विश्वविद्यालय, राई के कुलपति अशोक कुमार और कुलपति प्रो. श्री प्रकाश सिंह। -हप्र
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सोनीपत, 20 नवंबर (हप्र)
हरियाणा खेल विश्वविद्यालय, राई के कुलपति एवं रिटायर्ड डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि करियर का प्लॉन करते समय विद्यार्थी को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। वे वह कार्य करें जो दिल व दिमाग से अच्छा लगे तथा दुनिया में वर्तमान में किस चीज की डिमांड है। अगर आप इन बातों को ध्यान में रखकर कार्य करोगे तो निश्चित तौर पर आपको जीवन में सफलता मिलेगी। वे बुधवार को दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल में दीनबंधु छोटूराम पर 17वें स्मारक व्याख्यान व वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘रिदम-24’ के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।
अशोक कुमार ने कहा कि जीवन में परिश्रम करने वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी बड़ा सोचे व हार्ड व स्मार्ट वर्क करें तो निश्चित तौर पर परिणाम मिलेगा। मेजबान विवि के कुलपति प्रो.श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि छोटूराम का जन्म 24 नवंबर 1881 को रोहतक के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से 12 मील दूर स्थित झज्जर मिडिल स्कूल में प्राप्त की। इसके लिए रोजाना पैदल चलकर जाते थे। चौधरी छोटूराम हर अन्याय के खिलाफ खड़े होने का बड़ा नाम बन गया। सर छोटूराम ने क्रांतिकारी सुधारों को लागू करके ग्रामीण पंजाब की सूरत बदल दी। भाखड़ा बांध बनाने का विचार चौधरी छोटूराम का ही था।
उनका अपने राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ा कार्य पंजाब बंधक भूमि पुनर्स्थपना अधिनियम (मुक्त किराया बंधक भूमि अधिनियम, ऋण माफी अधिनियम) को लागू करना था, जिसके तहत बंधक भूमि को बिना किसी अतिरिक्त ब्याज के मूल ऋण का भुगतान करके मालिक को वापस किया जा सकता था, चाहे ऋण कितना भी पुराना क्यों न हो। समाज व राष्ट्रहित में किए गए कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा भक्त फूल सिंह मेडिकल कॉलेज के प्रो. योगेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि दीनबंधु छोटूराम ने होडल से लेकर पेशावर तक शोषण करने वालों को उखाड़ फेंका। दीनबंधु छोटूराम उस विचारधारा का नाम है जो मनुष्य मात्र की भलाई में ही अपनी भलाई समझते थे। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित करा देना चाहिए।

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