समृद्ध विरासत
एक बार ब्रिटिश जनरल चार्ल्स स्टीवर्ट ने टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद टीपू का संग्रहालय खजाने की लालसा से खुलवाकर खोजा। मगर उसमें मिली एक से बढ़कर एक दुर्लभ अरबी, फारसी, संस्कृत, हिन्दी की प्राचीन पांडुलिपियां। भारत की प्राचीन और साहित्यिक विरासत से सराबोर इस संग्रहालय की समस्त पांडुलिपियों का अध्ययन कर स्टीवर्ट महोदय ने इनका तरतीब से संरक्षण कराया। ताड़ पत्रों पर उनकी और भी प्रतियां तैयार कराई। उन्होंने, ‘ए डिस्क्रिप्टिव कैटेलॉग ऑफ द ओरिएंटल लाइब्रेरी ऑफ द लेट टीपू सुल्तान आफ मैसूर’ शीर्षक से एक विस्तृत सूचीपत्र प्रकाशित और प्रसारित कराया। इतना ही नहीं, उसके बाद भारतभर में साहित्यिक सांस्कृतिक पांडुलिपियों के संरक्षण की मुहिम आरंभ हुई। फलतः इस तरफ नये-नये प्रयोग होने लगे। आज इन सभी के डिजिटल संस्करण तथा माइक्रो फिल्म तक मौजूद हैं, जो शोधकर्ताओं के लिए एक खजाना हैं।
प्रस्तुति : पूनम पांडे