समाज सेवा के लक्ष्य
दीनदयाल उपाध्याय एक छोटे से गांव में यात्रा पर थे। एक दिन एक युवा कार्यकर्ता ने उन्हें पूछा, ‘आप हमेशा कहते हैं कि समाज की असली सेवा उस व्यक्ति तक पहुंचने में है, जिसे सबसे अधिक सहायता की जरूरत है। लेकिन क्या हम ऐसे लोगों तक पहुंचने के लिए अपने संसाधनों को सही तरीके से इस्तेमाल कर पा रहे हैं?’ दीनदयाल उपाध्याय बोले, ‘समाज की सेवा का मतलब सिर्फ भव्य योजनाएं बनाना या बड़े कार्यक्रम आयोजित करना नहीं है। असली सेवा तब होती है जब हम हर उस व्यक्ति की मदद करते हैं, जो खुद अपनी मदद नहीं कर सकता। यह हमारे काम का असली उद्देश्य होना चाहिए- न केवल बड़े उद्देश्यों के पीछे भागना, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना और प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति को समझना।’ युवा कार्यकर्ता ने पूछा, ‘लेकिन हम कैसे जान सकते हैं कि हमें किसे मदद देनी चाहिए?’ दीनदयाल उपाध्याय ने उत्तर दिया, ‘जब तुम किसी को देखो, तो उसे केवल एक व्यक्ति न समझो। उसे उसकी जरूरतों, उसकी परिस्थितियों और उसकी समस्याओं के साथ देखो। अगर तुम यह समझ पाओ कि वह क्या महसूस करता है, तो सेवा अपने आप सामने आएगी।’ प्रस्तुति : देवेन्द्रराज सुथार