मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

समय की संवेदनाओं के किस्से

04:05 AM Feb 02, 2025 IST

भारत भूषण
पंजाब की संस्कृति और समाज में इतने रंग हैं कि उनकी पहचान मुश्किल है। यहां जिंदगी सुबह से शाम तक न जाने कितने रंग और शेड लेती है। साहित्यकार की नजरों में वह शीशा होता है, जो कि वक्त और हालात के हर रंग को पहचान कर उसे अपने जेहन में कैद कर लेता है। फिर उन्हें कहानियों की शक्ल में पाठकों के समक्ष परोस देता है।
कहानीकार प्रीतमा दोमेल की कहानियों को पढ़कर पंजाब और उसकी जिंदगी में झांकने का अवसर मिलता है। कहानी संग्रह ‘समय के सौदागर’ की प्रत्येक कहानी और उसके पात्र ऐसे अनूठे किरदार हैं, जो कि जिंदगी की सच्चाई सामने लाते हैं और ऐसा सबक दे जाते हैं जो कि भूलाए नहीं भूलते। इन कहानियों में स्नेह सद्भावना, पारिवारिक सामाजिक, आर्थिक, नैतिक परिस्थितियों के चित्रण के साथ-साथ बिखरते मानव मूल्यों, टूटते रिश्तों, चरमराते पारिवारिक संबंधों की यथार्थ अभिव्यक्ति है।
मूलरूप से पंजाबी में लिखी गई इन कहानियों के हिंदी रूपांतरण में भी मूल कहानी की वह सौंधी पंजाबियत बरकरार रहती है। इन कहानियों में नारी पात्र सशक्त होकर उबरे हैं, लेकिन उनकी खासियत यह है कि वे परस्पर विरोध भावना कम, संवेदनशील मैत्री भावना ज्यादा रखते हैं। कहानी ‘आधा-आधा’, ‘प्रतीक्षा’, ‘चिट्‌ठी मिल गई’ मानवीय संवेदनाओं से पूरित हैं। कहानीकार की मूल भावना इन पात्रों के जरिये ऐसा संदेश पाठक को देने की रही है, जो कि उसके जीवन की अड़चनों और सोच के अंधेरे अगर वह कहीं है तो उसे मिटा सके। इन कहानियों को पढ़ना बेहद आसान है। यह गांवों में खेतों की मुंडेर पर बैठकर बातें करने जैसा है, जहां बगैर किसी हील-हुज्जत के अपनी बात कह दी जाती है और अगले को वह समझ भी आ जाती है।

Advertisement

पुस्तक : समय के सौदागर कहानीकार : प्रीतमा दोमेल हिंदी रूपांतरण : बाबू राम ‘दीवाना’ प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 156 मूल्य : रु. 200.

Advertisement
Advertisement