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सफीदों में पहले दो बार जीते ‘बाहरी’, भाजपा नहीं खोल पायी खाता

10:46 AM Sep 14, 2024 IST
सफीदों में पहले दो बार जीते ‘बाहरी’  भाजपा नहीं खोल पायी खाता
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सफीदों, 13 सितंबर (निस)
हरियाणा में अब तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में सफीदों विधानसभा क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवार केवल दो बार ही जीत पाए। वर्ष 1972 के चुनाव में जब कांग्रेस का बोलबाला था यहां से पूंडरी हलके के धजाराम को कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा गया जो सफीदों के गांगोली गांव के सतनारायण सिंगला को हराकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे, लेकिन मतों का अंतर केवल 108 का ही रहा। उसके बाद वर्ष 1982 के चुनाव में कांग्रेस के अनुकूल माहौल में ही जींद के अमरहेड़ी गांव के कुंदनलाल को यहां कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया जो लोकदल के सतबीर सिंह के मुकाबले 6968 मतों से जीत गए। उस चुनाव में सतबीरसिंह भी बाहरी थे। यह वह समय था जब कांग्रेस का बोलबाला था और यहां के लोगों में इतनी राजनीतिक जागृति नहीं थी।
जैसे-जैसे यहां मतदाता जागरूक हुए बाहरी उम्मीदवारों का विरोध होने लगा। वर्ष 1987 के चुनाव में यहां से महम के रामचंद्र जांगड़ा का लोकदल प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कराया गया। खुद ओमप्रकाश चौटाला यहां निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में आ जमे। वह रामचन्द्र जांगड़ा के पक्ष में स्थानीय दावेदारों को सहमत करने लगे तो लोगों ने बाहरी उम्मीदवार का विरोध किया और जब ओम प्रकाश चौटाला नहीं माने तो स्थानीय क्षेत्र के कुछ गणमान्य लोग इकट्ठे हुए जिन्होंने बाहरी उम्मीदवार के विरोध में स्थानीय उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाया। तब लोगों ने सफीदों के छापर गांव के सरदार सरदूल सिंह को पंचायती उम्मीदवार घोषित कर दिया। उस चुनाव में हालत यह रही की निर्दलीय सरदार सरदूल सिंह 26732 मतों से कांग्रेस के कुंदन लाल से जीते और कांग्रेस को छोड़कर उस चुनाव में लोकदल प्रत्याशी सहित सभी की जमानत जब्त हुई। भले ही आज वह ‘बाहरी’ नहीं लेकिन सफ़ीदों की राजनीति में पहले से सक्रिय जींद के कर्मवीर सैनी को भी वर्ष 2005 के चुनाव में मतदाताओं ने नकार दिया। कर्मवीर सैनी उस चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लड़े और वह निर्दलीय बचनसिंह से हार गए।
इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बहन डॉ. वंदना शर्मा को भाजपा की टिकट पर मैदान में उतारा गया। उस चुनाव में इनेलो के उम्मीदवार कलीराम पटवारी थे और कांग्रेस के बचनसिंह आर्य थे जबकि बसपा की टिकट पर कर्मवीर सैनी लड़े। पांच कोणीय उस मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवार जसबीर देसवाल 29369 वोट लेकर विजयी घोषित हुए जबकि भाजपा की डॉ. वंदना शर्मा को 27947 मत मिले।

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