सत्ता बदलते ही क्रिप्टो करेंसी का ट्रंप कार्ड
अब, क्रिप्टो उत्साही, ट्रम्प के इस वादे पर भरोसा कर रहे हैं, कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया की ‘बिटकॉइन महाशक्ति’ बनाएंगे। अमेरिका पहले से ही बिटकॉइन का सबसे बड़ा संप्रभु धारक है। ‘बिटबो’ के डेटा के अनुसार, अमेरिका में 200,000 से अधिक बिटकॉइन हैं, जो लगभग 22 बिलियन डॉलर के बराबर है।
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को दुनिया की ‘बिटकॉइन महाशक्ति’ बनाएंगे। बिटकॉइन भी वही सबसे विश्वसनीय, जिसे ट्रंप कुनबे ने लॉन्च किया हो। ‘ट्रम्प मेमेकॉइन’ के लॉन्च ने मुद्रा उद्योग के कई पावर ब्रोकर्स को चौंका रखा है। रविवार देर रात ट्रम्प परिवार ने दूसरा नया क्रिप्टो टोकन लॉन्च किया। इस टोकन का नाम है, ‘डॉलर मेलानिया’। रविवार दोपहर तक बाज़ार में ट्रंप टोकन का कुल कारोबारी मूल्य लगभग 13 बिलियन डॉलर था, जो शपथ के सिर्फ़ दो दिनों के भीतर 29 बिलियन डॉलर में बदल चुका था। डेटा ट्रैकर, ‘कॉइन गेक्को’ के अनुसार, ‘जारी किए गए 200 मिलियन टोकन में से प्रत्येक का मार्केट वैल्यू 64 डॉलर है।’ क्रिप्टो मार्केट में ऐसी तेज़ी बरकरार रही, तो ट्रंप को दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक बना देगी।
क्रिप्टो कॉइन के कारोबार शुरू होने से पहले, फोर्ब्स ने ट्रंप की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर बताई थी। ‘ट्रुथ सोशल’ एक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है, जिसका स्वामित्व ‘ट्रम्प मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप’ के पास है। यह प्रचार का कमाल है, कि क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को ‘ट्रुथ सोशल’ पर भरोसा होने लगा है। लेकिन, नए उद्यम से होने वाले हितों के टकराव को लेकर कई सवाल भी उठे हैं, कि क्या ट्रंप ने अपनी ताक़त का दुरुपयोग अभी से शुरू कर दिया है? ट्रम्प ने शुक्रवार रात को नए टोकन, ‘डॉलर ट्रम्प’ के लॉन्च की घोषणा की, जब सैकड़ों लोग व्हाइट हाउस से कुछ ही दूर क्रिप्टो-प्रेरित उद्घाटन समारोह के लिए एकत्र हुए। इस वेंचर को ट्रंप भक्तों ने इस संकेत के रूप में सराहा, कि डिजिटल मुद्राएं अब संयुक्त राज्य अमेरिका की मुख्यधारा में आ रही हैं। तो क्या ये डॉलर को भी रिप्लेस करेंगे?
लंबे समय से क्रिप्टो निवेश में लगे रहे लोगों ने कहा, कि नया डिजिटल सिक्का, जिसे ‘मेमेकॉइन’ के रूप में जाना जाता है, क्रिप्टो ट्रेडिंग के इतिहास में हाहाकारी साबित हो सकता है। ‘मेमेकॉइन’ एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, जो किसी भी सेलिब्रिटी शुभंकर से जुड़ी होती है। सेलिब्रिटी को छोड़ दें, तो कुत्ते भी अब मेमेकॉइन के शुभंकर हैं। 2021 में पहले मेमेकॉइन में से एक, डॉग-आधारित डिजिटल मुद्रा था, जिसे ‘डॉगकॉइन’ कहा जाता है। इस डिज़िटल मुद्रा ने रातों-रात करोड़पति बनाए, लेकिन उतनी ही जल्दी इसने अपना मार्केट वैल्यू खो दिया।
मेमेकॉइन के मामले में सच है, कि उसकी कीमतों में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है। मेमेकॉइन की कीमतें अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म पर अलग-अलग हो सकती हैं, जिससे किसी सिक्के का वास्तविक मूल्य निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है। नई क्रिप्टोकरेंसी की कीमत अक्सर बहुत बढ़ जाती है, लेकिन जब सिक्के के धारक उसे बेचना शुरू करते हैं, तो वे गिर जाते हैं। ट्रम्प यह सब तुरंत नहीं करेंगे, पहले ‘डॉलर मेलानिया’ और ‘ट्रंप मेमेकॉइन’ की कीमतों को बुलंदी पर ले जायेंगे। ट्रंप के पांच बेटों में से एक ली रेनर्स, दूसरे एरिक ट्रम्प, क्रिप्टो करेंसी कारोबार में आगे आ चुके हैं।
2024 क्रिप्टो के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष था, जिसमें बिटकॉइन 100,000 डॉलर को पार कर गया। ‘यू.एस. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन’ ने बिटकॉइन रखने वाले पहले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड को मंजूरी दी। अब, क्रिप्टो उत्साही, ट्रम्प के इस वादे पर भरोसा कर रहे हैं, कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका को दुनिया की ‘बिटकॉइन महाशक्ति’ बनाएंगे। अमेरिका पहले से ही बिटकॉइन का सबसे बड़ा संप्रभु धारक है। ‘बिटबो’ के डेटा के अनुसार, अमेरिका में 200,000 से अधिक बिटकॉइन हैं, जो लगभग 22 बिलियन डॉलर के बराबर है।
अमेरिका अंदर ही अंदर मंदी के ख़तरे से गुज़र रहा है, चुनांचे उसके कई राज्यों में अल सल्वाडोर मॉडल को अपनाने की कोशिशें चुनाव से पहले शुरू हो चुकी थीं। नवंबर में पेंसिल्वेनिया के प्रतिनिधि सभा में पेश किए गए एक विधेयक में राज्य के कोषाध्यक्ष और सार्वजनिक पेंशन फंड को बिटकॉइन में निवेश करने के लिए अधिकृत करने की मांग की गई थी। लेकिन, सबलोग इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ स्टेट रिटायरमेंट एडमिनिस्ट्रेटर’ के शोध निदेशक, कीथ ब्रेनार्ड ने कहा, कि हमें उम्मीद नहीं है कि कई सार्वजनिक पेंशन फंड निवेश पेशेवर, जो लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति की देखरेख करते हैं, क्रिप्टो में निवेश करेंगे। क्रिप्टो में निवेश के साथ जोखिम लेना कौन पेंशनर चाहेगा? लुइसियाना के कोषाध्यक्ष जॉन फ्लेमिंग ने कहा, ‘मेरी चिंता यह है कि किसी समय यह बढ़ना बंद हो जाएगा, और फिर लोग इसे भुनाना चाहेंगे।’ विरोधाभासी स्थिति में अमेरिका के बाक़ी राज्य क्रिप्टो करेंसी को कितना स्वीकार करते हैं, उस सूरतेहाल को समझने में समय लग सकता है।
चुनाव अभियान के दौरान, ट्रम्प ने देश के लिए एक ‘रणनीतिक बिटकॉइन रिजर्व’ बनाने का विचार पेश किया था, जो हाल के वर्षों में अल सल्वाडोर की पहल के समान है। अल सल्वाडोर बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में उपयोग करने वाला दुनिया का पहला देश, 2021 में बन गया। ‘कोलोन’ (एसवीसी) 1892 से अल सल्वाडोर की आधिकारिक मुद्रा थी, जब तक कि इसे 1 जनवरी, 2001 को अमेरिकी डॉलर द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया गया। क्रिप्टो स्वीकार हुआ भी इसलिए, क्योंकि डॉलरीकरण के बाद सरकार, अल सल्वाडोर की मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने में असमर्थ थी।
इस समय, भारत में रुपये का जो हाल डॉलर के मुक़ाबले है, वैसा ही कुछ अल सल्वाडोर में हो रहा था। इस निर्णय ने एक बड़ी आबादी की क्रय शक्ति को कम कर दिया। डॉलरीकरण ने अल सल्वाडोर के निर्यात को धीमा कर दिया था। वित्तीय साक्षरता की कमी ने भी अल सल्वाडोर की आबादी को नुकसान पहुंचाया था, क्योंकि वे नहीं जानते थे कि अमेरिकी डॉलर का उपयोग कैसे किया जाता है, न ही वे इसके मूल्य को समझते थे। अंततः, अल सल्वाडोर को मुद्रा स्फीति से निजात का अंतिम उपाय, क्रिप्टो करेंसी में ही नज़र आया।
तो क्या भारत भी उसी राह पर अग्रसर है? 2020 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिप्टोकरेंसी पर से प्रतिबंध हटा दिया था, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में लगाया था। यों, भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक स्पष्ट नियामक ढांचा नहीं अपनाया है। 2022 में, क्रिप्टोकरेंसी कैपिटल गेन पर 30 प्रतिशत कर लगाया गया था। इसलिए, मानकर चलें कि इसे वैध स्वीकार करने के रास्ते मोदी सरकार ने चुपचाप खोल दिये। डेटा ट्रैकर, ‘कॉइन गेक्को’ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान में 119 देशों और चार ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्रों में सशर्त वैध है।’ क्रिप्टो करेंसी क्या आतंकियों और क्रिमिनल्स के पेमेंट का भी जरिया है? इस सवाल पर इसे प्रोमोट करने वाले शासन प्रमुख चुप मिलेंगे!
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।