सकारात्मकता व कुदरत का सान्निध्य देंगे समृद्धि
शुभ संकेत प्रत्येक व्यक्ति को यही बताता है कि सकारात्मक रहो, निरंतर आगे बढ़ो और प्रकृति के सान्निध्य में रहो। प्रकृति में विचरण करने वाले जीव-जंतु, पेड़-पौधे हमें बहुत कुछ सिखाते हैं।
रेनू सैनी
विभिन्न देशों की संस्कृति, वहां के परिवेश और लोकाचार के अनुरूप होती है। जिन देशों की संस्कृति जितनी अधिक समृद्ध होती है, वे आर्थिक एवं सामाजिक रूप से उतने ही अधिक संपन्न होते हैं। जापान एक ऐसा देश है जहां के लोग लंबा जीवन तो जीते ही हैं, इसके साथ-साथ वे विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक रहते हैं। कई जापानी अवधारणाएं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को बदलने की सामर्थ्य रखती हैं। ‘मनेकी नेको’ भी एक ऐसी ही अवधारणा है। जापानी में नेको शब्द का अर्थ है, बिल्ली और मनेकी का अर्थ होता है, ‘किसी को निमंत्रित करना।’ अगर इन दोनों शब्दों को मिला दिया जाए तो ‘मनेकी नेको’ का अर्थ हुआ, ‘बिल्ली लोगों को अंदर आने का न्योता दे रही है।’ अथवा ‘बिल्ली लोगों को अपनी ओर बुला रही है।’
इस आकृति का मूल, ईदो युग के एक प्रसंग से जोड़ा जाता है। वह प्रसंग इस प्रकार है कि एक बिल्ली हमेशा टोक्यो के पश्चिम में स्थित एक मंदिर के आंगन में, बड़े से पेड़ के सामने मुंह करके बैठी रहती थी। पेड़ आंगन से दूर था। एक दिन भयंकर तूफान आ रहा था। एक यात्री तूफान में भीगता हुआ आया और उस पेड़ के नीचे खड़ा हो गया। उसे सामने से वही बिल्ली हाथ हिला-हिला कर अपनी ओर बुलाने का संकेत करती रही। यह देखकर यात्री असमंजस में पड़ गया कि आखिर यह बिल्ली इतने तूफान में मुझे अपनी ओर आने का संकेत क्यों कर रही है? खैर! यात्री बिल्ली के आमंत्रण पर उस पेड़ से भागकर उसकी ओर आ गया। जैसे ही वह बिल्ली के पास पहुंचा तो अचानक भयंकर गर्जना हुई। यात्री ने पीछे मुड़कर देखा तो दंग रह गया कि जिस पेड़ के नीचे वह खड़ा था, उस पेड़ पर बिजली गिर गई थी। वह पेड़ जलकर राख हो गया। पेड़ के साथ-साथ उसके इर्द-गिर्द की हर चीज भी जलकर राख हो गई थी। अब तो यात्री की सांस ऊपर की ऊपर रह गई। उसकी आंखों से आंसू बह निकले। उसने बिल्ली को अपनी गोद में उठाया और नम आंखों से उसका आभार व्यक्त किया। बस तभी से एक हाथ हिलाती बिल्ली हर घर, आंगन और व्यवसाय का शुभ प्रतीक बन गई। आज अक्सर कई दुकानों में यह बिल्ली हाथ हिलाती हुई नज़र आती है।
मनेकी नेको ‘आकर्षण के सिद्धांत’ का मूर्तिमान रूप है। इसकी मूर्ति मानो प्रत्येक व्यक्ति को यही कहती है कि आप बार-बार मांगो, कार्य करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाओ, धीरे-धीरे आगे बढ़ो। आपको वह सब कुछ मिल जाएगा जो आप चाहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आकर्षण के नियम का मूल स्रोत, द किबलियोन के सात नियमों में से एक में मिलता है, जिसे रहस्यमयी हर्मिस त्रिसमैगिसतुस ने बनाया था। मन से जुड़ा यह नियम कहता है कि, ‘इस ब्रह्माण्ड में हर चीज एक मानसिक रचना है और इस तरह मनुष्य अपने विचारों के माध्यम से अपना यथार्थ स्वयं रच सकते हैं।’
मनेकी नेको यह बताता है कि आप जिसे चाहते हैं, उसकी हृदय से कामना करें। उसके लिए प्रयासरत हों। इसमें आकर्षण के ये चारों नियम समायोजित हैं :-
आप क्या चाहते हैं? उसे ब्रह्मांड से मांगें।
उत्साह और आभार जीवन में सदैव रहना चाहिए। इनके माध्यम से अपनी इच्छाओं पर ध्यान केंद्रित करें।
इस तरह व्यवहार करें कि आप जो अच्छी चीजें चाहते हैं, वे आपकी हो चुकी हैं।
मुक्त मन से उन्हें ग्रहण करें।
आकर्षण के उपरोक्त चारों नियम बहुत सरल हैं। मगर लोग इनका सही से पालन नहीं करते, इसलिए चूक जाते हैं। यदि हमारे हाथों में हर पल मोबाइल रहेगा, उसी पर ध्यान रहेगा तो प्रकृति के शुभ संकेत हम कहां समझ पाएंगे? अपनी कल्पनाशक्ति को भी जीवित रखने के लिए यह अनिवार्य है कि मोबाइल, सोशल मीडिया से उचित दूरी बनाए रखें। लगातार इन्हीं में डूबे रहने के कारण दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। आज सोशल मीडिया ने व्यक्ति को इतना अधिक व्यथित किया हुआ है कि वे प्राकृतिक स्थलों पर विचरण करने की जगह वहां पर अपनी फोटो लेते हैं, रील्स बनाते हैं और फिर अनायास ही काल के गाल में समा जाते हैं।
मनेकी नेको का शुभ संकेत प्रत्येक व्यक्ति को यही बताता है कि सकारात्मक रहो, निरंतर आगे बढ़ो और प्रकृति के सान्निध्य में रहो। प्रकृति में विचरण करने वाले जीव-जंतु, पेड़-पौधे हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। न्यूटन गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज इसलिए कर पाए क्योंकि वे प्रकृति के सान्निध्य में बैठे अपने आविष्कार पर सोच रहे थे। अचानक हवा के झोंके से एक सेब के पेड़ से सेब नीचे गिरा। न्यूटन ने उसे नीचे गिरते देखा और स्वयं से बोले, ‘यह सेब नीचे ही क्यों गिरा? अगल-बगल या ऊपर क्यों नहीं गिरा। इसका अर्थ है कि धरती उसे खींच रही है यानी उसमें आकर्षण है। इस तरह गुरुत्वाकर्षण का नियम पूरे विश्व के सामने आया। आज भी असंख्य आविष्कार व्यक्तियों का इंतजार कर रहे हैं बशर्ते वे मनेकी नेको के नियम के अनुसार कार्य करें। ‘मनेकी नेको’ के जुड़वां नियम से आगे बढ़ें और अपना सुंदर भविष्य गढ़ें।