संस्कृत है तो संस्कृति है : स्वामी राघव देव
समालखा, 5 जनवरी (निस)
प्रदेश के स्कूलों में कक्षा छठी से दसवीं तक संस्कृत की अनिवार्यता के संकल्प के उद्घोष के साथ रविवार को पट्टीकल्याणा के सेवा साधना ग्राम विकास केंद्र में संस्कृत भारती के दो दिवसीय प्रांत सम्मेलन की शुरुआत हुई। सम्मेलन में संगठन विस्तार में कार्यकर्ताओं की भूमिका के साथ-साथ आगामी योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई। उद्घाटन सत्र में विधानसभा में संस्कृत में शपथ लेने वाले रेवाड़ी के विधायक लक्ष्मण यादव, करनाल के विधायक जगमोहन आनंद, इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप का भी सम्मान किया गया। दो दिवसीय सम्मलेन में विभिन्न प्रकार के सत्र के तहत कार्यकर्ताओं की भागीदारी रहेगी।
पट्टीकल्याणा के सेवा साधना आश्रम में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रांत सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख हुल्लास चंद ने कहा कि कार्यकर्ता के हृदय में अग्नि, पैरों में गति, मुख में मधुरता और मस्तिष्क में शीतलता का होना जरूरी है। जब तक ऊर्जा नहीं होगी, कार्य की शुरुआत हो ही नहीं पाएगी, मधुर वाणी से शत्रु को भी अपना बनाया जा सकता है। मस्तिष्क शीतल होगा तो रास्ता सही अपनाया जाएगा। रास्ता सही अपनाया तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं हो पाएगा।
मुख्यातिथि के रूप में महामंडलेश्वर स्वामी राघव देव महाराज ने कहा कि संस्कृत है तो संस्कृति है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रेवाड़ी के विधायक लक्ष्मण यादव ने कहा कि यदि अपनी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को जानना है तो संस्कृत को न केवल पढ़ना होगा अपितु इसे आत्मसात भी करना होगा।
करनाल के विधायक जगमोहन आनंद ने कहा कि यदि हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखना है तो संस्कृत का व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करना होगा। इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप ने कहा कि प्रदेश में संस्कृत को कक्षा छठी से दसवीं तक अनिवार्य करना आवश्यक है। इस बारे में मुख्यमंत्री तक संस्कृत भारती की बात को प्रमुखता से पहुंचाएंगे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष डॉ.सोमेश्वर दत्त ने की।
इस अवसर पर संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जयप्रकाश, उत्तर क्षेत्र अध्यक्ष प्रो. यशवीर, उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री नरेंद्र कुमार, संपर्क प्रमुख डॉ. जोगेंद्र, प्रांत मंत्री प्रमोद शास्त्री, प्रांत सह मंत्री भूपेंद्र, ईशम सिंह, न्यास अध्यक्ष डॉ. रामनिवास, हरिदेव शास्त्री, प्रचार प्रमुख सतेंद्र कुमार, कोष प्रमुख डॉ. सुरेश कुमार, पुष्पेंद्र, डॉ. नवीन शर्मा, प्रवेश कौशिक, डॉ. शैलेंद्र, डॉ. राजबीर, अशोक बुचौली, जयपाल शास्त्री, रामदेव सिरसा, विनय गोपाल त्रिपाठी, गिरीश चंद्र, बलजिंद्र, सुशील शास्त्री, डॉ. सुनील, कपीश, डॉ. संजीव, नीरज आदि भी उपस्थित रहे।