संधू ने पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास का मुद्दा संसद में उठाया
मोहाली, 3 अप्रैल (निस) राज्यसभा सांसद सतनाम संधू ने शून्यकाल के दौरान पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार से बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को और मजबूत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह अथॉरिटी सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम कर सकती है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का सामाजिक और आर्थिक स्तर सुधर सके।
सांसद संधू ने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम भी शामिल है। इसके लिए सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है और इस योजना के तहत 19 सीमावर्ती जिलों में 3,000 गांवों का विकास किया जा रहा है। 2025 के केंद्रीय बजट में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए बजट में 87% की वृद्धि की गई है।
संधू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सीमाओं को देखने का दृष्टिकोण बदल दिया है। पहले जहां इन गांवों को 'भारत का अंतिम गांव' कहा जाता था, अब इन्हें 'भारत का पहला गांव' कहा जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने आधुनिक निगरानी प्रणाली, उच्च तकनीक एंटी-ड्रोन तकनीक और सीमा बाड़ को मजबूत करके घुसपैठ और नशीले पदार्थों की तस्करी पर सख्त नियंत्रण लगाया है।
पंजाब के सीमावर्ती किसानों की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए सांसद संधू ने कहा कि इन क्षेत्रों में घुसपैठ, नशा तस्करी और गोलीबारी की घटनाएं आम हैं, जिससे खेती करना जोखिम भरा हो गया है। सिंचाई की समस्याएं, कृषि संसाधनों की कमी और उपज बेचने में आने वाली दिक्कतें किसानों की स्थिति को और खराब कर रही हैं।
संधू ने केंद्र सरकार से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत अधिक गांवों को शामिल करने, सीमावर्ती जिलों में युवाओं का कौशल विकास सुनिश्चित करने, नशामुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाने और अटल इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की मांग की।