श्रम संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का मिला-जुला असर
चंडीगढ़/ नयी दिल्ली, 9 जुलाई (ट्रिन्यू/ एजेंसी)
देश में 10 केंद्रीय श्रम संगठनों की ओर से बुधवार को देशभर में आहूत एक दिन की हड़ताल का मिला-जुला असर रहा। गैर भाजपा शासित राज्यों में इसका ज्यादा असर दिखा। हालांकि आवश्यक सेवाएं अधिकतर अप्रभावित रहीं। हरियाणा में भी हड़ताल का मिला-जुला असर रहा। आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील वर्कर और ग्रामीण सफाई कर्मचारी भी इसमें शामिल हुए। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने हड़ताल को सफल बताया। सीटू, एटक, एचएमएस सहित कई कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, हिसार समेत कई शहरों में निजी औद्योगिक श्रमिकों ने भी प्रदर्शन किए।
केरल, झारखंड और पुडुचेरी में हड़ताल से कुछ चुनिंदा सेवाएं प्रभावित होने की खबरे हैं। पश्चिम बंगाल से छिटपुट हिंसा की कुछ घटनाएं सामने आईं। श्रम संगठनों ने दावा किया कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ नयी श्रम संहिताओं के विरोध में 25 करोड़ श्रमिकों को ‘आम हड़ताल’ के लिए लामबंद किया जा रहा है।
श्रम संगठनों की मांगों में चार श्रम संहिताओं को खत्म करना, ठेका प्रणाली समाप्त करना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना तथा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है। इसके अलावा किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के सूत्र के आधार पर फसलों के लिए एमएसपी और ऋण माफी की मांग भी कर रहे हैं।