श्रद्धा और विरासत का हरियाणवी आलोक
राजकिशन नैन
हरियाणा अपने तीर्थों, मंदिरों, शिवालयों, बौद्ध स्थलों, गुरुद्वारों, मकबरों, मंढ़ों, दरगाहों और गिरजाघरों के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न धर्मों के लोगों की आस्था से जुड़े इन श्रद्धास्थलों पर माथा टेकने के लिए छत्तीस बिरादरी के श्रद्धालु सदियों से आते रहे हैं। डॉ. प्रदीप शर्मा ‘स्नेही’ ने अपनी हालिया पुस्तक ‘हरियाणा के पावन श्रद्धास्थल’ में हरियाणवी अंचल के सभी मतावलंबियों के पूज्य स्थलों के बारे में सटीक जानकारी प्रस्तुत की है।
बारह भागों में विभाजित इस पुस्तक के पहले अध्याय में कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसर, सन्निहित, ज्योतिसर, बाणगंगा, भीष्मकुंड एवं नाभिकमल जैसे तीर्थों के अलावा पृथूदक के सरस्वती तीर्थ, यमुनानगर के कपालमोचन व आदिबद्री तीर्थ, कलायत के कपिल तीर्थ तथा जींद के पांडु-पिंडारा, हंसडहर व रामराय जैसे तीर्थों का विवरण दिया गया है। कुरुक्षेत्र की 48 कोसी भूमि के तीर्थों की महिमा इस प्रकार गाई गई है :-
गंगायां तु जलॆ मुक्तिः वाराणस्यं जले-स्थले।
कुरुक्षेत्रे त्रिधा मुक्तिः अंतरिक्षे जले-स्थले।
दूसरे अध्याय में अहीरवाट्टी अंचल के पाली गांव स्थित ‘बाबा जयरामदास आश्रम’, भाड़ावास गांव के ‘बाबा मोहनदास धाम’, बामनवास गांव के ‘बाबा रामेश्वरदास मंदिर’, सीहमा गांव के ‘बाबा खेतानाथ तीर्थ’ तथा 2400 फीट ऊंचे ढोसी पहाड़ पर स्थित ‘ढोसी तीर्थ’ का उल्लेख किया गया है, जहां सोमवती अमावस्या के दिन विशाल मेला लगता है।
तीसरे अध्याय में प्रदेश के देवी तीर्थों के अंतर्गत कुरुक्षेत्र का ‘सिद्ध शक्तिपीठ भद्रकाली’, अंबाला के ‘माता अंबिका देवी मंदिर’ एवं ‘झांवरिया माता मंदिर’, पंचकूला के ‘मनसा देवी मंदिर’ व ‘चंडी माता मंदिर’, कालका का ‘काली देवी मंदिर’, जींद का ‘जयंती देवी मंदिर’, बेरी का ‘भीमेश्वरी देवी मंदिर’ तथा गुरुग्राम का ‘शीतला माता मंदिर’ प्रमुख रूप से शामिल हैं।
चौथे अध्याय में शिव की महिमा से संबंधित कुछ प्रसिद्ध शिव तीर्थों का उल्लेख किया गया है, जिनमें कुरुक्षेत्र के ‘स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर’ और ‘सर्वेश्वर महादेव मंदिर’, पिहोवा के ‘पृथेश्वर महादेव मंदिर’ व ‘पशुपतिनाथ महादेव मंदिर’, अरुणाय (पिहोवा) गांव का ‘संगमेश्वर महादेव मंदिर’, कैथल का ‘ग्यारह रुद्री मंदिर’, जींद का ‘भूतेश्वर महादेव मंदिर’, कलायत का ‘प्राचीन शिव मंदिर’, भिवानी का ‘गौरीशंकर मंदिर’, बाघोत का ‘बाघेश्वर शिव मंदिर’ और रेवाड़ी का ‘घण्टेश्वर महादेव मंदिर’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन शिवालयों की वास्तुकला, भित्तिचित्रों और मूर्तिशिल्प में अद्भुत शिल्पकला देखने को मिलती है। ‘घण्टेश्वर महादेव मंदिर’ की दीवार पर 19वीं सदी के सुप्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवि अलीबख्श (मुंडावर निवासी) द्वारा रचित शिवस्तुति अंकित है।
पांचवें अध्याय में यमुनानगर के टोपराकलां गांव से प्राप्त अशोक स्तंभ व जगाधरी के निकट गांव सुघ, चनेटी और आदिबद्री के बौद्ध स्तूपों की चर्चा है। शेष सात अध्यायों में बौद्ध विहारों की चर्चा की गई है। साथ ही, हरियाणा के जैन तीर्थों एवं स्थानकों, ईसाई गिरजाघरों, मजारों और मस्जिदों तथा सिख गुरुओं की स्मृति से जुड़े ऐतिहासिक गुरुद्वारों का भी क्रमबद्ध विवरण दिया गया है।
पुस्तक : हरियाणा के पावन श्रद्धास्थल लेखक : डॉ. प्रदीप शर्मा ‘स्नेही’ प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 160 मूल्य : रु. 249.