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शामली में एसटीएफ से मुठभेड़, मुस्तफा कग्गा गैंग के चार बदमाश ढेर, सोनीपत का मंजीत भी मारा गया

05:15 AM Jan 22, 2025 IST

सोनीपत 21 जनवरी (हप्र)
उत्तरप्रदेश के शामली में सोमवार रात एसटीएफ और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ में सोनीपत के गांव रोहट का मंजीत और उसके तीन साथी मारे गए। इन सभी का संबंध मुस्तफा कग्गा गैंग से था। मंजीत, जो अपने भाई की हत्या का मुख्य आरोपी था, दिसंबर 2024 में अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आया था। मुठभेड़ के दौरान मंजीत और उसके साथी चारों बदमाशों की गोलीबारी में मारे गए, जबकि एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील भी घायल हुए।
एसटीएफ ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान, आरोपी बदमाशों ने आत्मसमर्पण करने के बजाय गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस टीम ने जवाबी कार्रवाई की और मंजीत तथा उसके साथियों को ढेर कर दिया। मंजीत और उसके तीन साथी मुस्तफा कग्गा गैंग के सक्रिय सदस्य थे, जिनके खिलाफ कई गंभीर अपराधों के मामले दर्ज थे। पुलिस के अनुसार, इन बदमाशों का आपराधिक नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था, और ये लंबे समय से अपराध में संलिप्त थे।
पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों का आपराधिक इतिहास गंभीर था। उनका मुख्य उद्देश्य अपने गैंग के लिए अपराध करना था। एसटीएफ अधिकारियों ने कहा कि इस मुठभेड़ से एक बड़ा आपराधिक गिरोह समाप्त हुआ है, जो लंबे समय से राज्य में अपराध कर रहा था। अब पुलिस उनकी आपराधिक गतिविधियों की विस्तृत जांच करेगी, ताकि अन्य गैंग सदस्य और उनके द्वारा की गई अन्य आपराधिक वारदातों का भी पता चल सके।

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गांव में दहशत का माहौल

सोनीपत के शेखपुरा गांव से एक अन्य बदमाश सतीश भी मारे गए इन चारों बदमाशों में शामिल था। सतीश का परिवार गांव से गहरे रूप से जुड़ा हुआ था, क्योंकि उसके पिता हरियाणा पुलिस में उप-निरीक्षक रहे थे। लेकिन सतीश का कग्गा गैंग से जुड़ना गांव वालों के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि वह पहले किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं था। गांव के लोग इस खबर को पूरी तरह से हैरान करने वाला मान रहे थे।

मंजीत का आपराधिक इतिहास

मंजीत सोनीपत के गांव रोहट का रहने वाला था। उस पर अपने भाई की हत्या का आरोप था, जिसे उसने अपनी मां की बीमा राशि हड़पने के लिए अंजाम दिया। शुरुआत में मंजीत ने अपने बहनोई पर हत्या का झूठा आरोप लगाया था। दिसंबर 2024 में वह अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आया और फिर से अपराध की दुनिया से जुड़ गया। मंजीत और उसके साथी मुस्तफा कग्गा गैंग के सदस्य थे, जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय थे।

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सतीश का नाम कैसे आया सामने?

मुठभेड़ में मारा गया एक अन्य बदमाश सतीश भी सोनीपत जिले के गांव शेखपुरा से था। उसके पिता हरियाणा पुलिस के सेवानिवृत्त उप-निरीक्षक थे। सतीश का नाम कभी पुलिस रिकॉर्ड में नहीं था। गांववाले भी उसकी आपराधिक गतिविधियों से अनजान थे। यह रहस्य बना हुआ है कि सतीश आखिर मुस्तफा कग्गा गैंग से कैसे जुड़ा।

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