विवेक सम्मत सत्य
04:00 AM Jan 06, 2025 IST
एक दिन सत्यतपा ऋषि वन में बैठे थे। अचानक एक वराह सामने से गुजरा और ओझल हो गया। पीछे-पीछे शिकारी पहुंच गया। उसने मुनि से पूछा, ‘क्या तुमने वराह को जाते देखा है?’ मुनि ने सोचा कि यदि वह सच बताता है, तो शिकारी वराह को मार देगा। यदि नहीं बताता, तो शिकारी का परिवार भूखा रह जाएगा। मुनि ने कहा, ‘वराह को आंखों ने देखा है, पर वे बोल नहीं सकतीं। जिह्वा बोल सकती है, किंतु उसने वराह को देखा नहीं।’ तभी मुनि ने देखा कि सामने शिकारी की जगह विष्णु और इंद्र खड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘मुनिवर, वास्तव में तुम सत्य-असत्य के रहस्य व उसके परिणाम को समझते हो। सत्य बोलते समय उसका परिणाम क्या होगा, यह विवेक ही उचित निर्णय ले सकता है।’ सत्यतपा मुनि को आशीष देकर दोनों लौट गए।
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प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी
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