वित्तीय संकट : हिमाचल में रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की सिफारिश
प्रतिभा चौहान/ट्रिन्यू
शिमला, 8 अप्रैल
हिमाचल प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए कैबिनेट उप-समिति ने ‘एक बार के उपाय’ के तौर पर सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 59 करने की सिफारिश की है, ताकि एक साल तक सेवानिवृत्ति लाभ न देने पड़ें। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उपाय अपनाने से पहले राज्य में आठ लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का मूल्यांकन जरूरी है।
वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में गठित सब-कमेटी ने बीते सप्ताह अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपी। इसमें यह सुझाव भी शामिल है कि शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु जन्मतिथि के बजाय शैक्षणिक सत्र के अंत से जोड़ी जाए, जिससे कुछ समय के लिए सेवानिवृत्ति लाभ को टाला जा सके।
वित्तीय स्थिति के लिहाज से वित्त वर्ष 2025-26 को राज्य सरकार के लिए बेहद कठिन माना जा रहा है। ऐसे में सरकार खर्च में कटौती व इसे टालने के उपाय तलाश रही है। उम्मीद है कि 16वां वित्त आयोग जब 2026-31 की अवधि के लिए सिफारिशें करेगा, तो 1 अप्रैल 2026 के बाद राज्य को कुछ वित्तीय राहत मिल सकेगी।
800 करोड़ का भार : सूत्रों के अनुसार, सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से करीब 800 करोड़ रुपये का भुगतान टाला जा सकता है। वहीं, शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति तिथि को सत्र के अंत से जोड़ने से करीब 500 करोड़ रुपये का भुगतान एक वर्ष तक टाला जा सकता है। एक अन्य सिफारिश में कहा गया है कि सरकारी नौकरी में री-इम्प्लाॅयमेंट पाने वाले व्यक्ति को उसकी सेवा समाप्त होने तक सेवानिवृत्ति लाभ न दिये जाएं। यह उपाय भी वित्तीय बोझ को कुछ समय के लिए कम करने में मददगार हो सकता है।