वन संपदा के क्षरण से जैव विविधता का संकट
मुकुल व्यास
दुनिया के जंगल इस समय बड़े दबाव में हैं क्योंकि पेड़ों की कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। नए अध्ययन से पता चला है कि पेड़ों की कुछ प्रजातियों को खोने से न केवल स्थानीय वनों को नुकसान होगा, बल्कि इससे समूचे पारिस्थितिकी तंत्र को भी खतरा हो जाएगा। पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में पेड़ों की विविधता की बहुत बड़ी भूमिका होती है।
विश्व में पेड़ों की स्थिति के बारे में 2021 में किए गए एक वैश्विक मूल्यांकन में पाया गया कि सभी वृक्ष प्रजातियों में से एक-तिहाई के समक्ष इस समय अस्तित्व का संकट है। इसका अर्थ यह है कि लगभग 17,500 दुर्लभ और विशिष्ट वृक्ष प्रजातियां लुप्तप्राय हैं। यह संख्या दुनिया में खतरे में पड़े स्तनधारी जानवरों, पक्षियों, उभयचरों और सरीसृपों की संख्या से दोगुना से भी ज्यादा है। जो पेड़ सबसे ज्यादा संकट में हैं उनमें विराट तटीय रेडवुड और डायनासोर युग के वोलेमी पाइन शामिल हैं। कुछ पेड़ इतने दुर्लभ हैं कि उनकी प्रजाति का केवल एक ही ज्ञात पेड़ बचा है। इनमें मॉरीशस में हियोफोर्ब अमरिकौलिस नामक ताड़ के अकेले वृक्ष का उल्लेख किया जा सकता है।
वर्ष 2022 में एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पेड़ों की क्षति के परिणामों के बारे में ‘मानव जाति को चेतावनी’ जारी की थी, जिसका समर्थन 20 विभिन्न देशों के 45 अन्य विज्ञानियों ने किया था। बॉटनिक गार्डन कंजर्वेशन इंटरनेशनल के संरक्षण जीव विज्ञानी मालिन रिवर्स और उनके सहयोगियों ने पेड़ों की क्षति से हमारी अर्थव्यवस्थाओं, आजीविका और भोजन पर पड़ने वाले कई प्रभावों को रेखांकित किया है। हमारे अधिकांश फल पेड़ों से आते हैं। पेड़ों से मिलने वाले फलों, मेवों, दवाओं और गैर-लकड़ी उत्पादों का लगभग 88 अरब डॉलर का व्यापार होता है। विकासशील देशों में 88 करोड़ लोग ईंधन के लिए जलाऊ लकड़ी पर निर्भर हैं। दुनिया ने 1.6 अरब लोग जंगल के 5 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। ये लोग भोजन और आय के लिए जंगल पर निर्भर हैं।
कुल मिलाकर पेड़ वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना लगभग 1300 अरब डॉलर का योगदान करते हैं। फिर भी हम हर साल बड़ी संख्या में पेड़ों को नष्ट कर रहे हैं। पेड़ अपने आप मे एक छोटी दुनिया है, जिसमें सभी प्रकार के एकल और बहुकोशिकीय जीवन रूप पनपते हैं, जिसमें दूसरे पौधे, कवक, बैक्टीरिया और जानवर शामिल हैं। एक पेड़ को खोने से यह पूरी दुनिया भी खत्म हो जाती है। ये पेड़ अक्सर अपने आसपास के जीवन के लिए सहायक आधार बनाते हैं।
वास्तव में, दुनिया के आधे जानवर और पौधे पेड़ों वाले आवासों पर निर्भर हैं। यदि हम पेड़ों की देखभाल नहीं करते हैं तो हम वहां मौजूद सभी अन्य जीवों की देखभाल भी नहीं कर पाएंगे। पेड़ों की विविधता खोने से जैविक संबंधों का संपूर्ण ताना-बाना कमजोर हो जाता हैं। यदि भिन्नता में कमी आती है तो इम्यून रिस्पॉन्स में कमी आएगी। जीनों में विविधता कम होगी। पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रियाओं में विविधता भी कम होगी। दूसरे शब्दों में, कम विविधता से पृथ्वी पर जीवन के जटिल चक्र को प्रभावित करने वाले खतरों से बचने की संभावना कम हो जाएगी।
कुछ वृक्ष प्रजातियां आसपास की प्रजातियों से परस्पर क्रिया करती हैं और उन्हें अन्य प्रजातियों द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता। एक वृक्ष प्रजाति के विलुप्त होने से उसके साथ क्रिया करने वाली हर चीज पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। इनमें पृथ्वी के ओलिगोसीन युग के प्राचीन जंगलों से बचे हुए विशिष्ट ड्रैगन ब्लड वृक्ष (ड्रैकेना सिनाबारी) शामिल हैं, जो कई अन्य प्रजातियों के मेजबान हैं। ये प्रजातियां पूरी तरह से इन वृक्षों पर निर्भर हैं, जिनमें कई अन्य पौधे और उन्हें परागित करने वाले गेको गिरगिट शामिल हैं। ओलिगोसीन युग करीब 3.39 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुआ था जो करीन 2.3 करोड़ वर्ष पहले तक चला था। हमारे घटते जंगलों पर निर्भर रहने वाली प्रजातियां 1970 के बाद से लगभग 53 प्रतिशत कम हो चुकी हैं।
दुनिया भर में और अधिक वन बढ़ते तनाव के संकेत दे रहे हैं। पेड़ पृथ्वी की मिट्टी, वायुमंडल और मौसम के साथ भी मजबूती से जुड़े हुए हैं। वे हमारी हवा को साफ करते हैं, ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और वर्षा को सुगम बनाते हैं। वे दुनिया के सुलभ मीठे पानी का तीन-चौथाई हिस्से को संगृहीत करते हैं। पेड़ पानी का संग्रह जड़ों, तनों, शाखाओं और पत्तों में करते हैं। पेड़ अपनी पत्तियों में वर्षा जल को रोककर, पानी के बहाव को रोककर, अपनी जड़ों से नदी के किनारों को स्थिर करके वर्षा जल का प्रबंधन करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संघ के अनुसार, एक परिपक्व सदाबहार पेड़ हर साल 15,000 लीटर से अधिक पानी को रोक सकता है। पानी के अलावा पेड़ दुनिया की आधे से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को भी जमा करते हैं जो आज एक बड़ा सिरदर्द बन गई है। जिन जंगलों में ज्यादा विविधता है वे एक जैसे पेड़ों की तुलना में अधिक कार्बन संगृहीत करते हैं।
बड़ी संख्या में पेड़ खोने से हमारे ग्रह पर कार्बन, पानी और पोषक तत्वों का चक्र अव्यवस्थित हो जाएगा। अनेक पारिस्थितिक कार्यों में पेड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे न केवल कार्बन का संग्रह करते हैं, बल्कि जानवरों को भी आवास प्रदान करते हैं। मिट्टी को स्थिर करने के अलावा पेड़ कीटों और बीमारियों, तूफानों और प्रतिकूल मौसम का प्रतिरोध करते हैं। पेड़ों और अन्य वनस्पतियों के नष्ट होने से जलवायु परिवर्तन, रेगिस्तानीकरण, भूक्षरण, बाढ़ और वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि होती है। फसलों का उत्पादन कम होता है। इससे स्थानीय लोगों के लिए कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। वर्षावन के पेड़ जो कुछ प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं, एक छतरी का काम करते हैं। पेड़ों की छतरी तापमान को नियंत्रित करती है। वनों की कटाई के परिणामस्वरूप रेगिस्तान की तरह दिन से रात तक तापमान में बहुत अधिक परिवर्तन होता है। यह कई निवासियों के लिए घातक साबित हो सकता है।
नि:संदेह, पेड़ों की विविधता खोने से हम सभी जीवों में विविधता भी खो देंगे। इनमें विभिन्न प्रकार के पक्षी, जानवर, कवक, सूक्ष्म जीव और कीड़े शमिल हैं। कुछ पेड़ प्रजातियां भाग्यशाली हैं। वे हमारे द्वारा किए गए तेज पर्यावरणीय परिवर्तनों का लाभ उठाने में सक्षम हैं। मसलन वे ऐसे क्षेत्र में घुस रही हैं जिसे आग ने साफ कर दिया है। लेकिन कई प्रजातियां इसी प्रक्रिया से नष्ट भी हो रही हैं। पेड़ों के नुकसान का सामूहिक स्तर पर मुकाबला करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए हम सभी को पेड़ों के महत्व को समझना होगा।
लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।