वक्फ केंद्र से 7 दिन में मांगा जवाब, नियुक्तियां रोकीं
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने पांच मई तक ‘वक्फ बाय यूजर’ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करने और केंद्रीय वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में नियुक्तियां न करने का केंद्र सरकार से आश्वासन लेने के साथ ही उसे संबंधित अधिनियम की वैधता पर जवाब दाखिल करने के लिए बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया। केंद्र ने शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश का विरोध किया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ से आग्रह किया कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के साथ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले रहे हैं।’ मेहता ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों पर रोक लगाना एक कठोर कदम हो सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि स्थिति बदले। कानून संसद बनाती है, कार्यपालिका निर्णय लेती है और न्यायपालिका व्याख्या करती है।’ पीठ ने अपने समक्ष प्रस्तुत कुल याचिकाओं में से केवल पांच पर सुनवाई करने का निर्णय
लिया है।
याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में देना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने तीन वकीलों को नोडल वकील नियुक्त करते हुए उनसे कहा कि वे आपस में तय करें कि कौन दलीलें पेश करेगा। याचिकाकर्ताओं को सरकार का जवाब मिलने के पांच दिन के अंदर केंद्र के जवाब पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी गई है।
सरकार ने संविधान पर हमला किया : कांग्रेस
कांग्रेस ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम से जुड़े मामले में कुछ बिंदुओं पर अंतरिम राहत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से किसी समुदाय नहीं, बल्कि संविधान के मूल पर हमला किया है।