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लोककवि की जयंती पर डीएलसी-सुपवा में रंगारंग कार्यक्रम

04:23 AM Jul 16, 2025 IST
लोककवि की जयंती पर डीएलसी सुपवा में रंगारंग कार्यक्रम
रोहतक में डीएलसी-सुपवा में पंडित लख्मीचंद के प्रपौत्र पंडित विष्णु दत्त को सम्मानित करते कुलपति अमित आर्य। साथ है अभिनेता यशपाल शर्मा। -हप्र
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हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 15 जुलाई
दादा लख्मीचंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विश्वविद्यालय (डीएलसी-सुपवा) में मंगलवार को प्रदेश के अमर लोककवि सूर्यकवि पंडित लख्मीचंद की जयंती पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन में लोकगीत, रागनियों और नाटक के माध्यम से पंडित लख्मीचंद के जीवन, विचारों और लोक परंपरा को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित लख्मीचंद के प्रपौत्र पंडित विष्णु दत्त की रागिनी प्रस्तुति से हुई। दादा लख्मी के कालजयी दोहे और गीत जब मूल लोकधुनों में गूंजे, तो समूचा सभागार मंत्रमुग्ध हो गया। यह पहली बार है जब विश्वविद्यालय ने इतने बड़े पैमाने पर उनकी स्मृति में ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह, संभागीय आयुक्त पीसी मीणा और एसपी नरेंद्र बिजारणिया समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अमित आर्य ने कहा कि यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण है। यह सांस्कृतिक पुर्नस्थापन का प्रयास है। पंडित लख्मीचंद हरियाणा की आत्मा थे। जब कवि, कलाकार और विद्यार्थी एक ही मंच पर आते हैं, तो यह सुनिश्चित होता है कि उनकी कालजयी दृष्टि और कला आज की रचनात्मक दुनिया में फिर से जीवंत हो।
सिने अभिनेता यशपाल शर्मा सम्मानित
विवि के मिनी ऑडिटोरियम में पंडित लख्मीचंद के जीवन पर आधारित फीचर फिल्म ‘दादा लख्मी’ का विशेष प्रदर्शन हुआ। फिल्म की स्क्रीनिंग के उपरांत डॉ. आर्य ने फिल्म के निर्माता एवं वरिष्ठ अभिनेता यशपाल शर्मा तथा पूरी टीम को सम्मानित किया। यशपाल शर्मा ने फिल्म में पंडित लख्मीचंद की भूमिका निभाई है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दादा लख्मी का किरदार निभाना मेरे लिए सौभाग्य भी था और एक जिम्मेदारी भी। उनका जीवन कलाकार की सच्चाई और ग्रामीण भारत की आत्मा का प्रतीक है। इस अवसर पर पंडित लख्मीचंद के परिवारजनों को भी सम्मानित किया, जिन्होंने पीढ़ियों से उनकी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखा है। पंडित लख्मीचंद के प्रपौत्र पंडित विष्णु दत्त ने कहा कि आज इस विश्वविद्यालय में प्रस्तुति देना, जो मेरे परदादा के नाम पर स्थापित है, अत्यंत भावुक और गौरव का क्षण है। यह वही रागनियां हैं जिन्हें उन्होंने रचा था, आज उन्हें इस मंच पर गाना हमारे परिवार के लिए एक आत्मिक वापसी जैसा है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, स्टाफ, नवोदित फिल्मकार, थिएटर विद्यार्थी, और क्षेत्र भर से आए लोककला प्रेमियों ने भाग लिया।

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