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लुटेरों की ब्रांडिंग में पाकिस्तानी कन्फ्यूजन

04:00 AM Jan 07, 2025 IST
लुटेरों की ब्रांडिंग में पाकिस्तानी कन्फ्यूजन
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आलोक पुराणिक

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पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि महमूद गजनवी लुटेरा था। इन्हीं गजनवी के नाम पर पाकिस्तान ने अपनी मिसाइल का नामकरण किया है।
मिसाइल अगर बोल पाती, तो बुरा मान जाती कि लुटेरे के नाम पर क्यों रख दिया गया मिसाइल का नाम। गजनवी नाम की मिसाइल इस बात पर बुरा मान सकती थी कि उस मिसाइल ने तो कोई मंदिर नहीं तोड़ा, किसी के साथ लूटपाट नहीं की, फिर मिसाइल को गजनवी का नाम क्यों दिया जा रहा है। पाकिस्तान मिसाइल भी कन्फ्यूज्ड हो जाती, पाकिस्तानी इंसानों की तरह। कन्फ्यूजन है, पाकिस्तान मुल्क नहीं, कन्फ्यूजन है। ब्रांडिंग की भाषा में इसे विकट कन्फ्यूजन कहते हैं, जिसे अपना ब्रांड बताओ उसी को लुटेरा बता दो, यह पाकिस्तान में संभव है।
हालांकि, पाकिस्तान के हुक्मरान गजनवी माडल को फालो करते हैं। लूटते हैं पाकिस्तान को फिर कनाडा, दुबई में बड़े-बड़े महल बनवा लेते हैं पाकिस्तानी जनरल, पाकिस्तानी अफसर, पाकिस्तानी उद्योगपति। महमूद गजनवी हिंदुस्तान से लूटकर महल किले गजनी में बनवा देता था। पाकिस्तानी हुक्मरान इस मामले में गजनवी को फॉलो कर रहे हैं।
पर पाकिस्तान में लूट का हिसाब किताब दशकों से है। हर तोप, हर मिसाइल का नाम किसी न किसी लुटेरे के नाम पर रख दिया जाये, तो भी सटीक बैठेगा। पाकिस्तान की ब्रांडिंग में विकट कन्फ्यूजन है। पाकिस्तान खुद को इस इलाके से जुड़ा न मानता, पाकिस्तान के कई विद्वान खुद को तुर्की, ईरानी, अरबी मानते हैं और कमाल यह है कि तुर्की, ईरानी, और अरबी पाकिस्तानियों को अपनों में गिनने को तैयार नहीं हैं। पाकिस्तानी एक दिन तुर्की ड्रेस पहन लेते हैं, एक दिन अरबी ड्रेस पहन लेते हैं। पाकिस्तानियों को अब तक यह नहीं पता कि उनकी अपनी असली ड्रेस क्या है। असल में पाकिस्तानी हैं क्या। पाकिस्तानियों को एक बात पक्के तौर पर पता है कि वो क्या नहीं हैं उन्हें पता है कि वो हिंदुस्तानी नहीं हैं। पर वो हैं क्या, यह अभी तक साफ नहीं है, इस पर अब तक बहस चल रही है।
हिंदी फिल्मों में ऐसा होता रहा है, डाकू होता था एक बंदा फिर वह हीरो बन जाता था। हीरो बाद में डाकू बन जाता था। हालांकि, अब भी एक मायने में ऐसा होता है कि डाकू ठग टाइप का बंदा नेता बनकर विधायक, सांसद, मंत्री तक बन जाता है। पाकिस्तान कई मामलों में हिंदी फिल्मों को ही फॉलो करता है।
पाकिस्तान भले ही हिंदुस्तान से अलग हो गया हो, हिंदुस्तानी फिल्मों से अलग नहीं हुआ।

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