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रेडिमेड कपड़े खराब निकले तो मिलेगा मुआवजा

04:05 AM Apr 15, 2025 IST
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अक्सर ऑनलाइन या ऑफलाइन खरीद में रेडिमेड कपड़े खराब निकल जाते हैं। ऐसे में दुकानदार अथवा साइट उसकी वापसी या बदल कर देने से इनकार करे तो उपभेक्ता आयोग में शिकायत कर न्याय प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे मामलों में प्रभावित खरीदार मुआवजे का हकदार है।

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श्रीगोपाल नारसन

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, जालंधर ने महिलाओं के कपड़े बेचने वाले एक इंस्टाग्राम पेज को खराब शर्ट देने और खरीदार द्वारा की गई शिकायतों का जवाब देने में विफल रहने के लिए सेवाओं में कमी के लिए उत्तरदायी ठहराया है। ग्राहक खरीदार ने शिकायत की थी कि उसने महिलाओं की शर्ट व टॉपवियर खरीदने के लिए इंस्टाग्राम पेज ‘...फैशन’ से संपर्क किया था, विक्रेता ने पसंद किए गए कपड़े की कीमत 900 रुपये बताई जिसे खरीदने के लिए खरीदार सहमत हो गया। उसे विक्रेता की ओर से उत्पाद गुणवत्ता का आश्वासन भी दिया गया। शिकायतकर्ता ने पेटीएम के माध्यम से 900 रुपये का भुगतान विक्रेता को कर दिया। विक्रेता ने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया कि खरीदे गए कपड़े उन्हें 5 से 6 दिनों के भीतर डिलीवर हो जाएंगे।
खराब शर्ट के लिए मिला मुआवजा
लेकिन जब शिकायतकर्ता उपभोक्ता ने विक्रेता द्वारा भेजे गए पार्सल को खोला, तो उसमें शर्ट खराब निकली, शर्ट में केवल तीन बटन लगे थे, उस पर एक च्यूइंग गम स्टिक भी लगी थी। उसी दिन इंस्टाग्राम आईडी पर उक्त बाबत शिकायत भेजने के बावजूद, विक्रेता ने कोई जवाब नहीं दिया। असंतुष्ट होकर उपभेक्ता खरीदार ने विक्रेता ‘...फैशन’ के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, जालंधर, पंजाब में उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई। जिस पर सुनवाई के बाद उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए जिला आयोग ने विक्रेता को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के साथ 900 रुपये का भुगतान वापस करने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, विक्रेता को मानसिक तनाव और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये और खरीदार को मुकदमा खर्च के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। खरीदार पीड़ित उपभोक्ता को निर्देश दिया गया कि वह राशि प्राप्त करने पर विक्रेता को खराब सामान वापस कर दे।
माना सेवाओं में कमी का दोषी
इसी प्रकार बीकानेर के जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने एक रेडिमेड वस्त्र शो रूम को सेवाओं में कमी के लिए दोषी मानते हुए पीड़ित उपभोक्ता को 11,739.40 रुपए का भुगतान करने का फैसला सुनाया है। बीकानेर निवासी खरीदार महिला ने 2 अप्रैल, 2022 को शोरूम मिर्जा इंटरनेशनल लि. से लाल रंग की एक टी-शर्ट (साइज-एल-42) कीमत 719.70 रुपए और सफेद रंग की एक शर्ट (साइज – एल-44) कीमत 1019.70 रुपए की खरीदी। जिसका बिल भी परिवादी ने लिया था। खरीदते समय परिवादी खरीदार ने शोरूम पर मौजूद व्यक्ति से पूछा था कि दोनों वस्त्रों में साइज और रंग को लेकर अगर कोई भिन्नता पाई जाती है तो उसे बदलवा सकते हैं या नहीं? तब शो रूम पर मौजूद व्यक्ति ने सात दिनों के भीतर दोनों वस्त्र या इनमें से कोई एक वस्त्र बदलवाने का आश्वासन दिया था। वस्त्र खरीदने के दो दिन बाद ही महिला ने शोरूम पर कॉल करके दोनों वस्त्र बदलने को कहा। तब शोरूम की ओर से उसे कहा गया कि अभी इस साइज और कलर में स्टॉक पर्याप्त नहीं है, एक-दो दिन बाद नया स्टॉक आ जाएगा, जिसकी सूचना फोन से परिवादी को कर दी जाएगी, तब आकर दोनों वस्त्र बदलवा लेना।
करें उपभोक्ता आयोग का रुख
शोरूम से कोई कॉल नहीं आई तो तीन-चार दिनों बाद परिवादी दोबारा शोरूम पहुंची। उस दौरान शोरूम पर मौजूद व्यक्ति ने खरीद बिल देखकर कह दिया कि सात दिन बीत चुके हैं, अब दोनों वस्त्र नहीं बदले जा सकते हैं। जिसपर उपभोक्ता आयोग के समक्ष 16 नवम्बर, 2023 को एक परिवाद पेश किया ,जिसमें शोरूम और नामी ब्रांड को पक्षकार बनाते हुए पीड़िता उपभोक्ता ने अपने परिवाद के साथ बतौर साक्ष्य खरीद- बिल, शपथ पत्र, विधिक नोटिस आदि आयोग के समक्ष पेश किए। खरीद किए गए दोनों वस्त्र कंपनी के होना बताया गया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता आयोग की ओर से प्रतिवादीगण को नोटिस भेजे गए। लेकिन नोटिस प्राप्त न करने पर उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष व दो मेंबर्स ने सुनवाई करते हुए उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टी-शर्ट और शर्ट की कीमत 1739.40 रुपए, मानसिक संताप के एवज में 5 हजार रुपये और परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार यानि कुल 11,739.40 रुपए का भुगतान किए जाने के आदेश प्रतिवादीगण को दिया,साथ ही पीड़िता उपभोक्ता को निर्देश दिया कि वह खरीद किए गए दोनों वस्त्र विक्रेता को वापस कर दे।
रेडिमेड कपड़े में मिले खराबी तो...
रेडिमेड कपड़े खराब निकलने पर, आप उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन एक सुंदर सा कॉटन प्रिंट देखते हैं और सोचते हैं कि यह आपके लिए बिल्कुल सही होगा। इसी विश्वास पर जब आप उसे ऑनलाइन पेमेंट करके खरीदते हैं और जब कोरियर से भेजे गए उक्त सामान का पैकेज खोलते हैं तो आपको खरीदा गया कॉटन खुरदरा लगता है, उसका प्रिंट धुंधला लगता है और उसकी गुणवत्ता भी खराब लगती है तो आप उसे वापस कर सकते है, साथ ही विक्रेता द्वारा वापस न लेने पर उसकी शिकायत उपभोक्ता आयोग में की जा सकती है।

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लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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