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रामगढ़ भगवानपुर के लोग मुझसे अस्पताल बनवाने की उम्मीद न रखें : राव इन्द्रजीत सिंह

04:18 AM Jul 16, 2025 IST
रेवाड़ी के रामपुरा स्थित भगवत आश्रम में गुरु का श्रद्धांजलि देते हुए केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह।
रेवाड़ी, 15 जुलाई (हप्र)

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रेवाड़ी में बनने वाले 200 बैड के नये सरकारी अस्पताल को लेकर मंगलवार को केन्द्रीय राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने अस्पताल को लेकर आंदोलन कर रहे रामगढ़ भगवानपुर के लोगों को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि वे उनसे कोई उम्मीद नहीं रखे। उन्होंने कहा कि अस्पताल के लिए जब स्थान का चयन ही नहीं हुआ है तो वादा खिलाफी का आरोप क्यों लगाया जा रहा है। उक्त विचार राव ने मंगलवार को रामपुरा निवास के निकट भगवत भक्ति आश्रम में शरद पूर्णिमा कथा के समापन अवसर पर आयोजित समारोह के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए व्यक्त किये। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी उपस्थित थे।

सवालों जवाब देते हुए राव इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि वे चाहते हैं कि बनने वाला अस्पताल सबसे अच्छी जगह बने और लोगों को अच्छी सुविधा मिले। वे मानते हैं कि उन्होंने रामगढ़ भगवानपुर गांव के लिए सिफारिश की थी। लेकिन अन्य गांव व शहर के लोग भी अस्पताल बनवाने के लिए आ गए। उन्होंने कहा कि नगर के सेक्टर-18 में लगभग 6 एकड़ जमीन सरकारी अस्पताल के लिए निर्धारित की हुई है। लेकिन इसकी जानकारी न सरकार को है और न ही जिला प्रशासन को है। उन्होंने कहा कि रामगढ़ भगवानपुर के लोग इस मुद्दे को लेकर राजनीति करेंगे तो उनके पास जाना उचित नहीं है।

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उन्होंने कहा कि उनके साथ उनके विरोधी बैठे हैं। जिस तरह की हरकत यहां की जा रही है, उससे इलाके की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि रामगढ़ भगवानपुर के लोग उनसे उम्मीद करते हैं कि गांव में अस्पताल बने। लेकिन वे उनसे उम्मीद न करें। जिस तरह का व्यवहार उन्होंने किया है, उन्हें टटोलना पड़ेगा कि उनकी सिफारिश की जाए या नहीं। बता दें कि रामगढ़ भगवानपुर के लोग पिछले एक माह से गांव में अस्पताल बनवाने की मांग को लेकर आंदोलन और धरना कर रहे हैं।

शरद पूर्णिमा के सम्पन्न हुए समारोह में राव इंद्रजीत सिंह पत्नी मनीता सिंह, राव राघवेंद्र सिंह, डा. कपूर सिंह आदि उपस्थित रहे। इस मौके पर राव ने आश्रम की ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए कहा कि वर्ष 1918 में उनके दादा राव बलबीर सिंह ने प्रसिद्ध संत परमानंद जी महाराज के आग्रह पर इस आश्रम की स्थापना की थी। यह आश्रम न केवल आध्यात्मिक साधना का केंद्र रहा है, बल्कि सामाजिक समरसता और जातिविहीन समाज की प्रेरणा देने वाला स्थान भी रहा है। उन्होंने कहा कि उस दौर में जब जात-पात के भेदभाव से लोग पीडि़त थे, तब आश्रम ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए सामाजिक एकता का संदेश दिया। अनेक विधवाओं, संतों और जरूरतमंदों के लिए विशेष आवास व भोजन की व्यवस्था की गई। आश्रम आज भी उस आदर्श को जीवित रखे हुए है।

 

 

 

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