राजौरी में मौतें : 100 से अधिक विषाक्त पदार्थ जांच दायरे में
अदिति टंडन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 21 जनवरी
दस लोगों का एक परिवार, जिसमें अब केवल दो लोग ही बचे हैं। इसी ‘रहस्य’ की पड़ताल कर रहे हैं अधिकारी। राजौरी के बुधाल गांव में 44 दिनों में हुई 17 मौतें हो चुकी हैं। जांच दायरे में 100 से अधिक विषाक्त पदार्थ हैं। बताया गया कि जिस परिवार के आठ सदस्य काल कलवित हो गए, उनमें छह बच्चे और उनके दादा-दादी की 12 से 19 जनवरी के बीच मौत हो गई।
राजौरी में हुई रहस्यमयी मौतों की जांच कर रहे एक विशेषज्ञ ने ट्रिब्यून को बताया, ‘सबसे पहले 12 जनवरी को 8 साल की लड़की की मौत हुई और आखिरी मौत 19 जनवरी को 15 साल की लड़की की हुई। इस बीच, चार बच्चे और उनके दादा-दादी भी उसी रहस्य का शिकार हो गए, जिसे सुलझाने के लिए हम सभी काम कर रहे हैं।’
बुधल की पहेली को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा गठित बहु-विषयक टीम के लिए, यह परिवार नवीनतम और दूसरे दौर की चिकित्सा जांच के केंद्र में है, क्योंकि पहले दौर की जांच गांव में हुई 17 मौतों का कारण पता लगाने में विफल रही थी। पहली मौत 7 दिसंबर, 2024 को और आखिरी मौत 19 जनवरी को हुई थी। विशेषज्ञों ने कहा, ‘यह परिवार इस मामले को सुलझाने की हमारी आखिरी उम्मीद है। चूंकि इसने हाल ही में कई मौतें देखी हैं, इसलिए उनके मृतकों के नमूने जांच के लिए महत्वपूर्ण होंगे। हमने जांच के लिए कई नमूने भेजे हैं और पहली रिपोर्ट दो सप्ताह में आनी चाहिए।’ ट्रिब्यून को पता चला है कि विशेषज्ञों ने अब जांच के दायरे को बढ़ाकर 100 से अधिक विषाक्त पदार्थों के लिए मानव और पर्यावरण के नमूनों का परीक्षण किया है। यह पहली जांच से काफी अधिक है, जिसमें लगभग दस विषाक्त पदार्थों के लिए नमूनों का परीक्षण किया गया था।