राजिंदरा अस्पताल में चूहों का उत्पात, अब ‘कॉन्ट्रेक्ट किलर’ को दिया जिम्मा
अमन सूद/ट्रिन्यू
पटियाला, 1 दिसंबर
पंजाब के प्रमुख और सबसे व्यस्त सरकारी चिकित्साल्यों में से एक सरकारी राजिंदरा अस्पताल के अधिकारी अपने परिसर में चूहों के बढ़ते खतरे को लेकर चिंतित हैं। चूहों के झुंड ने अस्पताल और उसके आसपास को अपना घर बना लिया है, जिससे अस्पताल के चिकित्सा उपकरणों और बिजली के तारों के अलावा मरीजों और उनके परिचारकों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
अधिकारियों ने कुछ बार कीट नियंत्रण एजेंसी को नियुक्त करने का प्रयास किया है। लेकिन हर बार यह केवल कुछ हफ्तों तक ही काम करता था, जिसके बाद चूहे अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों को परेशान करने के लिए वापस आ जाते थे। यह समस्या अब चिंताजनक रूप ले चुकी है क्योंकि चूहे अस्पताल की इमारत के नीचे गहरे बिल खोद रहे हैं और इसके सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। एक मरीज के तीमारदार प्रकाश थापा ने कहा, ‘आप अस्पताल के हर कोने में चूहों को घूमते हुए देख सकते हैं। मरीजों और उनके परिचारकों के लिए यहां एक भी रात बिताना एक दुःस्वप्न है,’
एक डॉक्टर ने कहा, ‘अस्पताल के रोजमर्रा के कामकाज में चूहे एक बड़ी बाधा बन गए हैं। आस-पास अवैध ढाबों के बढ़ने और परिसर में मरीजों के परिचारकों द्वारा भोजन की खपत के कारण उनकी संख्या में वृद्धि हुई है।’
एक मृत मरीज के परिचारक ने कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करना पड़ा कि चूहों के कमरे में प्रवेश करने और मानव मांस खाने के डर से शवगृह कक्ष को बंद रखा जाए। अधिकारियों ने उन सैकड़ों चूहों को खत्म करने के लिए दो एजेंसियों को काम पर रखा है, जिन्होंने ब्रिटिश-युग के अस्पताल भवन के नीचे गहरे बिल खोदे हैं।
द ट्रिब्यून से बात करते हुए, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गिरीश साहनी ने कहा, ‘चूहों को पूरी तरह से खत्म करना होगा। इसके लिए हमने दो निजी कंपनियों को काम पर रखा है।’ चूहे पहले ही अस्पताल की संपत्ति और महत्वपूर्ण सरकारी फाइलों और रिकॉर्डों को व्यापक नुकसान पहुंचा चुके हैं।
डॉ. साहनी ने कहा। ‘अनुबंध एक साल के लिए है और काम शुरू हो चुका है। दोनों कंपनियां पूरे साल परिसर में काम करेंगी,’। चूहे मारने वाली टीमें पूरे अस्पताल परिसर को कवर करेंगी और खुला भी रखेंगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कंपनियां चूहों को मारने के लिए खाद्य वस्तुएं तैयार करेंगी। ऐसी वस्तुओं की सामग्री विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों के अनुसार होगी। कंपनियां यह सुनिश्चित करने के लिए भी तरीके अपनाएंगी कि समस्या दोबारा उत्पन्न न हो।’