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यादों की यात्रा के साक्षी

11:35 AM May 21, 2023 IST

रश्मि खरबंदा

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डॉ. ए.पी. जैन की यह पुस्तक साहित्य में एक अनूठा प्रयास है। वर्ष 2016 में प्रकाशित उनकी आत्मकथा ‘यादों की यात्रा’ पर कुल 33 साहित्यकारों की प्रतिक्रियाओं को इसमें संजोया गया है। प्रतिक्रिया-कर्ताओं ने समीक्षा, पत्र एवं कविता के भी माध्यम से अपने विचारों को प्रस्तुत किया है। पुस्तक के प्रकाशित होने में पवन चौधरी ‘मनमौजी’ का भी बड़ा हाथ है जिन्होंने लेखक को यह समीक्षाएं ‘साहित्यिक पुष्प गुच्छ’ के रूप में भेंट की।

गौरतलब है कि किताब के अंत की ओर ‘मनमौजी’ द्वारा एक काल्पनिक साक्षात्कार प्रस्तुत किया गया है जिसे प्रथम व्यक्ति परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है। यह वार्तालाप पाठक एवं ‘मनमौजी’ के बीच, ‘यादों की यात्रा’ के विमोचनोत्सव पर हो रही है जिसमें पाठक के मन में उभरे कई प्रश्नों का उत्तर मिल सकता है। इसी के साथ अंत में आत्मकथा को संक्षेप रूप से दस भागों में शामिल किया गया है, जिससे इस संकलन का पाठक भी सहज रूप से पढ़ पाएगा। आत्मकथा के विमोचन को तस्वीरों के रूप में पेश किया गया है। यह संकलन व्यापक रूप से आत्मकथा के प्रकाशन के उपरोक्त हुए आयोजनों की जानकारी साझा करता है।

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किसी ने ए.पी. जैन की आत्मकथा को बामकसद ज़िदंगी का खूबसूरत आईना माना है, तो किसी ने इसे एक प्रासंगिक पुस्तक। कमलेश शर्मा और दीप चंद्र निर्मोही इसे लेखक के संघर्ष की कहानी बयां करती हुई बताते हैं। लेखक के लिए साहसी, ईमानदार, कर्मठ, प्रियकर व सेल्फ-मेड जैसे विशेषणों का प्रयोग उनकी जीवनी की झलक देता है। सबके अलग-अगल विचारों में यह तो साफ़ है कि ‘यादों की यात्रा’ आत्मकथा एक सफल प्रयास है और लेखक एक श्रेष्ठ व्यक्ति हैं।

साहित्यकारों की प्रतिक्रिया के साथ-साथ उनका संक्षिप्त परिचय भी प्रदान किया गया है।

पुस्तक : यादों की यात्रा लेखक : डॉ. ए.पी. जैन प्रकाशक : विज्ञान प्रकाशन, पानीपत पृष्ठ : 176 मूल्य : रु. 500.

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